वायुसेना प्रमुख अरुप राहा ने शनिवार को कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के समय जिस तरह से लद्दाख में चीन की घुसपैठ हुई, वह ‘रहस्य’ है. राहा ने कहा कि भारतीय सुरक्षा बल सीमा पर डटे हुए हैं और जमीन का कोई टुकड़ा नहीं छोड़ने वाले हैं.
8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना की 82वीं वषर्गांठ से पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जिस तरीके से विभिन्न दौरों के समय घुसपैठ होती है, वह हमेशा से रहस्य रहा है. इसमें कुछ भी नया नहीं है, लेकिन यह हम सब के लिए रहस्य बना हुआ है.’ उन्होंने कहा, ‘आप सभी जानते हैं कि कूटनीति में काफी कुछ सांकेतिक होता है, खासकर हमारे उत्तरी पड़ोसी के साथ. यह मेरे दिमाग में किसी संकेत का हिस्सा हो सकता है, लेकिन मैं इस पर कोई कयास लगाने नहीं जा रहा हूं कि वास्तव में इसका मतलब क्या है.’
बहरहाल उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ‘जमीन का कोई टुकड़ा नहीं छोड़ने वाला है.’ राहा ने भारत और चीन की सेना के बार-बार आमने-सामने होने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देशों की वास्तविक स्थिति को लेकर अलग-अलग विचार होने को जिम्मेदार बताया.
उन्होंने कहा, ‘एलएसी कहां है इसे लेकर अलग-अलग विचार हैं. इस कारण सेनाएं आमने-सामने आ जाती हैं. बहरहाल हमारे सुरक्षा बल नीतियों का अनुपालन कर रहे हैं. हम किसी को भी जमीन नहीं दे रहे हैं.’ चीन के साथ लगती सीमा के पास सैन्य ढांचों के निर्माण के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए राहा ने कहा कि लद्दाख के न्योमा में लड़ाकू विमानों का बेस बनाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि परियोजना को पूरा होने में पांच वर्ष लगेंगे.
उन्होंने कहा कि कारगिल में एक अन्य बेस बनेगा और इसके लिए जल्द ही धनराशि जारी की जाएगी. राहा ने कहा, ‘ये बेस रणनीतिक रूप से हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारी क्षमताओं में बढ़ोतरी करेंगे.’ उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर में 6 और वायु सेना अड्डों का अपग्रेडेशन किया जा रहा है और यह काम 2015 के अंत तक पूरा हो जाएगा.
राहा ने कहा कि इससे वायुसेना वहां से सुरक्षा बलों की तुरंत आवाजाही के लिए फिक्सड विंग विमानों का संचालन कर सकेगी.