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कर्नाटक में टीपू की जयंती पर विवाद, सरकार और बीजेपी आमने-सामने

कर्नाटक में टीपू सुल्तान को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच ठन गई है. कुमारस्वामी सरकार राज्य में 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती को राज्य उत्सव के तौर पर मनाने जा रही है लेकिन बीजेपी और संघ इसका विरोध कर रहे हैं.

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बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

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कर्नाटक में पिछले साल की तरह इस साल भी टीपू सुल्तान की जयंती पर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जयंती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर अड़ी है, तो दूसरी ओर जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार भव्य तरीके से जयंती मनाने की तैयारियों में लग गई है.

जयंती मनाने के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी डाली गई है जिस पर कोर्ट ने याची को 9 नवंबर तक अपनी शिकायतें दर्ज करने का निर्देश दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर मीडिया से कहा कि पिछले 3 साल से यह आयोजन होता रहा है और इस साल भी होगा. सिद्धारमैया के मुताबिक मौजूदा मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इसकी इजाजत भी दे दी है. तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रदेश के डिप्टी सीएम जी. परमेश्वर ने सोमवार को डीजीपी, एडीजी (कानून और व्यवस्था) और बेंगलुरु के आयुक्त के साथ बैठक की.

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दूसरी ओर, केंद्रीय राज्यमंत्री अनंत हेगड़े के ओएसडी ने कर्नाटक के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि टीपू सुल्तान के जयंती कार्यक्रम में मंत्रियों को शामिल न किया जाए. केंद्रीय मंत्री हेगड़े ने पिछले साल भी यह जयंती मनाने पर नाराजगी जाहिर की थी.  

ओएसडी की ओर से मुख्य सचिव को भेजे पत्र में हेगड़े ने लिखा, 'प्रदेश सरकार की ओर से टीपू जयंती मनाने के फैसले की मैं निंदा करता हूं. वह (टीपू सुल्तान) हिंदू और कन्नड़ विरोधी था, इसलिए किसी आतातायी की जयंती मनाने की जरूरत नहीं. पिछले साल इसे लेकर हिंसा भी हुई थी. प्रदेश सरकार को आधिकारिक निमंत्रण में मेरा नाम शामिल नहीं करना चाहिए.'

उधर, डिप्टी सीएम परमेश्वर ने कहा है कि सरकार जयंती की तैयारियां कर रही है और प्रोटोकॉल के नाते अनंत हेगड़े का नाम भी आयोजन में शामिल किया जाएगा. अब उनके ऊपर है कि वे आएं या न आएं. परमेश्वर ने यह भी कहा कि 'निमंत्रण भेजे जाने को लेकर हमारे ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए.'      

बीजेपी ने जयंती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारियां तेज कर दी हैं. सूत्रों का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनावों से पहले वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बीजेपी यह रणनीति अपनाती दिख रही है. बीजेपी विधायक सीटी रवि ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि 'भविष्य में लोग बिन लादेन की जयंती मनाने के लिए कहेंगे, तो क्या सरकार उसकी भी जयंती मनाएगी? उनके (सरकार) लिए टीपू कौन है? क्या उनका पिता है या दादा है? उसकी जयंती मनाने की जरूरत क्या है?'

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पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मुताबिक, सरकार 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मनाएगी. पूरे प्रदेश में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है क्योंकि पिछली जयंती पर हिंसा भड़की थी और जानमाल की क्षति भी हुई थी.

पिछले साल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने टीपू सुल्तान की तुलना बाबर और तैमूर से करते हुए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और राहुल गांधी पर निशाना साधा था. गिरिराज सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि 'कांग्रेस और राहुल गांधी का वोट के लिए मानसिक पतन का ये हाल है कि वो फ़िरोज़ गांधी का जन्मदिन तो नहीं मनाते हैं लेकिन बाबर, तैमूरलंग, टीपू सुल्तान का मनाते हैं. अब आगे क्या अफ़ज़ल गुरु, कसाब और बुरहान वानी का जन्मदिन भी मनाएंगे?'  

टीपू सुल्तान का जन्‍म 10 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) में हुआ था. उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था. उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सेनापति थे जो कि 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने. अपने पिता के बाद टीपू सुल्तान 1782 में मैसूर की गद्दी पर बैठे. 4 मई 1799 को 48 साल की आयु में कर्नाटक के श्रीरंगपट्टन्नम में अंग्रेजों का सामना करते हुए टीपू की मौत हो गई.

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