राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को तमिलनाडु डीजीपी को चंदन तस्कर एनकाउंटर की गवाही देने वाले चश्मदीदों को सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में सेकर और बालचंद्रन ने कमिश्न और उनके परिवारों के सामने गवाही दी थी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पुलिस सुरक्षा गवाहों के गांव के पंचायत अध्यक्षों तक बढ़ाई जाएगी. इसके अलावा आयोग ने आंध्र प्रदेश सरकार को न्यायिक जांच संचालन करने का भी निर्देश दिया है. आयोग ने सभी वन अधिकारी और पुलिस अधिकारियों के नाम भी 22 अप्रैल से पहले जमा करवाने कहा है, जो उस दौरान ड्यूटी पर थे और एसटीएफ का हिस्सा थे. आयोग सभी शवों का पोस्टमॉर्टम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गाइडलाइन के अनुसार करेगी.
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि उस घटना से जुड़े दस्तावेज आयोग की कार्रवाई होने तक नष्ट नहीं किए जाएंगे. सोमवार को गवाहों को दिल्ली लाने वाले पीपुल्स वॉच के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरी टिप्हैंज ने कहा, 'एक-एक बयान की रिकॉर्डिंग में एक घंटे का समय लगा. दोनों गवाह मानवाधिकार वकील वृंदा ग्रोवर द्वारा प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
गवाह सेकर आंध्र प्रदेश के तिरुअन्नामलाई जिले के पुद्दूर कोलोडु गांव का है. उसने आयोग को बताया कि उसने 6 अप्रैल को पहली बार अपना गांव चेन्नई में मसोनरी में नौकरी के लिए छोड़ा था. वह बस में महेंद्रन, मूर्ति और मुनुसैमी के साथ था, जो उस घटना में बाद में मारे गए. सेकर के बयान के मुताबिक, आरकॉट बस स्टैंड के पास करीब 30 साल का आदमी बस में चढ़ा, महेंद्रन के पास आया और उसे बाहर निकलने कहा. बाद में देखा की दो और भी गायब हैं. यात्रा के दौरान सेकर की पास वाली सीट में एक महिला बैठी थी. हेनरी टिप्हैंज ने कहा कि हो सकता है बस में चढ़ने वाले ने इस और को सेकर का पति समझा और इसलिए उसे बाहर नहीं लेकर गया.
टिप्हैंज ने कहा, 'सेकर अगले ही स्टॉप पर उतर गया और घर भाग गया. अगले दिन सेकर के घर पुलिस महेंद्रन की तस्वीर लेकर पहुंची और उसे बताया कि वह तिरुपति के जंगल के पास मारा गया है.' सेकर ने बताया, 'मैं अपने गांव में वापस जाने से डर रहा हूं.' इसके साथ का दूसरा शख्य बालचंद्रन आंध्र प्रदेश के धरमपुरी जिले का था. उसके पिता भी उन्हीं 20 लोगों में थे, जो उस एनकांउटर में मारे गए थे.
मजदूर बालचंद्रन ने बताया कि पॉन्डीचेरी में नौकरी के लिए उसके पास 4 अप्रैल को एक कॉन्ट्रैक्टर पलानी ने संपर्क किया था. वह 5 अप्रैल को अपने पिता हरिकृष्णन समेत कई अन्या लोगों को भी साथ ले जा रहा था. आरकॉट में बस का इंतजार करते हुए वह एक अन्य आदमी के साथ शराब की दुकान चला गया और लौटकर देखा कि उनकी बस छूट चुकी थी.
उसने बताया कि जब दूसरा आदमी नगारी पुथ्थुर पहुंचा तो पलानी ने उसे पुलिस की गिरफ्तार का डर दिखाकर घर वापस जाने कहा. जब उसने अपने एक रिश्तेदार शिवकुमार को फोन किया तो किसी और ने फोन उठाया और कहा कि तुम्हारे आदमी यहां है, तो तिरुपति जल्दी आओ. बाद में उसे पता चला कि एनकाउंटर में उसके पिता भी मारे गए हैं.