शीतलता के लिए मशहूर दार्जिलिंग शनिवार को सियासी तपिश के लिए चर्चा में रहा. लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 में से 19 सीटें जीत चौंकाने वाला प्रदर्शन करने के बाद मिशन विस्तार में जुटी बीजेपी में दार्जिलिंग नगर पालिका के 17 पार्षद शामिल हो गए. इन पार्षदों को बीजेपी मुख्यालय पर प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश के बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई.
बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने Aajtak.in से बात करते हुए कहा कि अब दार्जिलिंग नगर पालिका में बीजेपी ने बहुमत प्राप्त कर लिया है. यह तो अभी सिनेमा का ट्रेलर है. उन्होंने दावा किया कि अभी टीएमसी के कई नेता हमारे टच में हैं. कई और टीएमसी नेता बीजेपी में शामिल होंगे. 2019 के लोकसभा चुनाव में 22 प्लस का नारा देकर 2 से 19 सीट तक पहुंचने में सफल रही बीजेपी के 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए भी सीटों का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है, इस सवाल पर रॉय ने सीधे कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि ममता बनर्जी की पार्टी को विपक्ष का स्टेटस भी नसीब नहीं होगा.
परिणाम के बाद बीजेपी में शामिल होने की मची होड़
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपने वजूद के लिए संघर्ष करती रही बीजेपी के दिन अचानक बहुर गए हैं. लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या और वोट शेयर के मामले में सत्ताधारी टीएमसी के बाद प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी में शामिल होने वालों का तांता सा लगा हुआ है. चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद से टीएमसी, कांग्रेस और अन्य दलों के विधायक, पार्षद और कार्यकर्ता लगातार बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.
दार्जिलिंग में मजबूत रही है बीजेपी
पश्चिम बंगाल में बीजेपी को मिलने वाली एकमात्र संसदीय सीट हुआ करता था दार्जिलिंग. वाजपेयी सरकार में विदेश और वित्त मंत्री रहे जसवंत सिंह लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में मंत्री रहे एसएस अहलूवालिया भी दार्जिलिंग से ही सांसद थे. गोरखालैंड की मांग के साथ अस्तित्व में आए गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के सहयोग से ही सही, बीजेपी दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में मजबूत रही है. ऐसे में वहां पहले से ही कमजोर टीएमसी के नेताओं का बीजेपी में शामिल होना सत्ताधारी दल की कमर तोड़ने वाला बताया जा रहा है.