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TMC विधायक की हत्या पर सुलगी बंगाल की सियासत, FIR में BJP नेता मुकुल रॉय का नाम

तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीति गरमा गई है. अभी हत्या की वजह स्पष्ट भी नहीं हो पाई और टीएमसी की तरफ से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए जाने लगें.

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टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं मुकुल रॉय
टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं मुकुल रॉय

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पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कृष्णागंज विधानसभा से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की शनिवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. बिस्वास अपनी पत्नी और 7 महीने के बेटे के साथ अपने क्षेत्र में सरस्वती पूजा के कार्यक्रम में गए थे, जहां हमलावरों ने उनपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं. टीएमसी के युवा विधायक की हत्या पर राजनीति भी शुरू हो गई है, क्योंकि हाल के समय में यह पहली ऐसी घटना जब किसी मौजूदा विधायक की हत्या हुई है. इस घटना के बाद दर्ज एफआईआर में बीजेपी नेता मुकुल रॉय का भी नाम है.

राज्य के जेल मंत्री उज्जवल बिस्वास ने टीएमसी विधायक की हत्या के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जिम्मेदार ठहराया है. नादिया की कृष्णागंज से विधायक सत्यजीत बिस्वास प्रभावशाली मटुआ समुदाय से ताल्लुक रखते थे. मटुआ समुदाय 1950 के दशक में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत आए थे. राज्य में इस समुदाय की आबादी लगभग 30 लाख है. उत्तर और दक्षिण 24 परगना की 5 लोकसभा सीटों पर समुदाय का खासा असर है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी इस समुदाय के लोगों को अपनी तरफ खींचना चाहती है. पीएम मोदी हाल ही में 24 परगना के ठाकुरनगर में मटुआ समुदाय के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

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इस मामले में मुकुल रॉय ने कहा कि एफआईआर में उनका नाम जोड़ने का फैसला राजनीति से प्रेरित है. राय ने कहा कि विधायक की हत्या की वजह तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई हो सकती है. राय ने ममता बनर्जी से मनमुटाव आने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया था.

लिहाजा अब तक बीजेपी की तरफ से राजनीतिक हिंसा का आरोप झेल रही राज्य में सत्ताधारी टीएमसी ने आरोप लगाने में देरी नहीं की और कह दिया कि यह हत्या बीजेपी द्वारा प्रायोजित है. दूसरी तरफ बीजेपी का आरोप है कि यह टीएमसी में आपसी कलह का नतीजा है और हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है. बहरहाल, टीएमसी विधायक की हत्या ऐसे समय हुई है जब लोकसभा चुनाव को लेकर राज्य में पहले से ही बीजेपी और टीएमसी के बीच राजनीतिक तनाव बना हुआ है.

इससे पहले दिसंबर के महीने में दक्षिण 24 परगना जिला के जयनगर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक बिस्वनाथ दास की कार पर कुछ नकाबपोश हमलावरों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग की घटना सामने आई थी. इस हमले में तीन लोग मारे गए थे. पश्चिम बंगाल सरकार ने इस हमले की जांच सीआईडी को सौंपी है. हालांकि इस हमले में निशाना कौन था इसकी जांच हो रही है लेकिन बिस्वनाथ दास ने अपनी हत्या की साजिश का आरोप लगाया था.

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पश्चिम बंगाल में वाम दलों के शासन के दौरान राजनीतिक हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. लेकिन इस तरह के वाकये में अक्सर स्थानीय कार्यकर्ता ही निशाना बनते रहे. वाम दलों की सत्ता खत्म होने के बाद तृणमूल सरकार पर भी राजनीतिक हिंसा के आरोप लगते रहे. बीजेपी और स्वयं पीएम मोदी लगातार इस बात का जिक्र अपनी रैलियों में करते रहें कि उनके समर्पित कार्यकर्ताओं पर योजनाबद्ध तरीके से हमले हो रहे हैं. लेकिन मौजूदा विधायक की हत्या बड़ा मामला है.

फिलहाल पुलिस टीएमसी विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या के मामले की जांच कर रही है और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. तो वहीं हंसखाली पुलिस स्टेशन  के इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया गया है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह राजनीतिक हत्या का मामला है, जैसा आरोप टीएमसी लगा रही है. इससे पहले 1994 में फॉरवर्ड ब्लॉक के तत्कालीन विधायक रमजान अली की कोलकाता में हत्या हुई थी. हालांकि यह राजनीतिक हत्या नहीं थी.

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