अपने पिता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल से राजनीति का सबक सीखने वाले कुलदीप बिश्नोई जनगणना में आगे चलने के साथ ही इसको साबित भी कर दिया, जब उन्होंने यह दिया कि मेरी जीत अगर होती है तो इसमें अन्ना का कोई योगदान नहीं है बल्कि यहां की जनता मुझे पसंद करती है.
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22 सितंबर 1968 को जन्म लेने वाले बिश्नोई इससे पहले भिवानी से लोकसभा का सदस्य रह चुके हैं.
हरियाणा के 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद जब भजनलाल को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो कुलदीप बिश्नोई ने अपनी अलग पार्टी ही बना ली. बिश्नोई ने 22 दिसंबर 2007 को हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से एक पार्टी बनाई.
हरियाणा में कांग्रेस के लिए सालों तक भजनलाल एकमात्र नॉन जाट चेहरे के रूप में जाने जाते रहे.
संपति के मामले में भी कुलदीप बिश्नोई बाकी अन्य नेताओं की तरह ही करोड़पति हैं. 2009 के मुकाबले बिश्नोई की सम्पत्ति में करीब 182 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.
वर्ष 2009 में बिश्नोई के पास करीब 17 करोड़ रुपये की सम्पत्ति थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 48 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई. इस दौरान उनकी सम्पत्ति में 31 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई. बिश्नोई के खिलाफ न्यायालय में एक आपराधिक मामला लम्बित है.