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हिंद महासागर के मौसम में बदलाव की निगरानी करेगा आर्गो नाम का रोबॉटिक बेड़ा

हमारे देश के नाम पर जिस महासागर का नाम है, उसके मौसम और बदलावों की निगरानी अब रोबॉट करेंगे. ये मुमकिन होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के एक संयुक्त रिसर्च प्रोजेक्ट के जरिए. इसके तहत समुद्र में गर्म हवाओं के कारणों और प्रभाव की पहचान करने के लिए सेंसर वाले रोबॉटिक बेड़े छोड़े जाएंगे. कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईआरओ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी.

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हमारे देश के नाम पर जिस महासागर का नाम है, उसके मौसम और बदलावों की निगरानी अब रोबॉट करेंगे. ये मुमकिन होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के एक संयुक्त रिसर्च प्रोजेक्ट के जरिए. इसके तहत समुद्र में गर्म हवाओं के कारणों और प्रभाव की पहचान करने के लिए सेंसर वाले रोबॉटिक बेड़े छोड़े जाएंगे. कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईआरओ) ने बुधवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी.

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बेड़े का नाम होगा आर्गो
आर्गो नामक ये बेड़े वास्तव में मुक्त रूप से तैरने वाले 3,600 सेंसरों का एक नेटवर्क है जो खुले समुद्री क्षेत्रों में काम करते हैं और समुद्री तापमान तथा लवणता के बारे में सटीक आंकड़े मुहैया कराते हैं. बयान में कहा गया है कि नए बायो आर्गो बेड़े समुद्र में वर्ष 2014 के मध्य में छोड़े जाएंगे. फिलहाल हिंद महासागर की सतह के नीचे ऐसी ही बेड़ों की प्रौद्योगिकी पहले ही समुद्री पारिस्थितिकी के रसायन और जैवविग्यान में बदलाव का पता सफलतापूर्वक लगा रही है. नये बायो आर्गो बेड़े इस प्रक्रिया को गति देंगे. बायो आर्गो बेड़ों में अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं जो पानी में घुली ऑक्सीजन, नाइट्रेट, क्लोरोफिल के साथ साथ वहां बिखरे कार्बनिक तत्वों और अन्य कणों के प्रति संवेदनशील होंगे.

पता चलेगा हम इंसानों पर क्या है असर
ये बेड़े हिंद महासागर की पारिस्थितिकी के बारे में भारत और ऑस्ट्रेलिया की बंगाल की खाड़ी तथा उत्तर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के संबंध में चिंताओं के हल की दिशा में प्रयास करेंगे. परियोजना से हिंद महासागर की जलवायु और पारिस्थितिकी में हो रहे बदलावों के बारे में जानकारी मिल सकेगी. सीएसआईआर के निदेशक वाजिह नकवी ने बताया कि प्रौद्योगिकी आधारित इस नई पहल से दोनों देशों के अनुसंधानकर्ताओं को हिंद महासागर के बारे में अपनी जानकारी और बढ़ाने का अवसर मिलेगा. साथ ही यह भी पता चल पाएगा कि इसका मानव गतिविधियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है.

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