स्वाइन फ्लू देश के कई हिस्सों में पैर पसार रहा है. इससे बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत तो है लेकिन उन अफवाहों से भी बचना चाहिए जो इसके बारे में अलग-अलग स्रोतों से फैल रही हैं. आइए जानते हैं स्वाइन फ्लू से जुड़ी 5 अफवाहों के बारे में.
1. नहीं हो सकता इलाज
यह एक अफवाह है. स्वाइन फ्लू का आसानी से इलाज संभव है. टेमीफ्लू नाम से स्वाइन फ्लू की दवा आती है जो इस पर तेजी से काबू करती है. लक्षण दिखाई देने के 48 घंटे के अंदर इलाज शुरू हो जाना चाहिए. यह दवाई तेजी इनफेक्शन को कम करती है. स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू हो जाना चाहिए. पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है.
2. भारत में है दवाई की कमी
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास अभी 60 हजार से ज्यादा डोज हैं. इसके अलावा बच्चों के लिए अलग से एक हजार सिरप डोज हैं. हेटेरो, नैटको और स्ट्राइड्स एक्रोलैब जैसी फार्मा कंपनियां बहुत कम समय में और डोज तैयार कर सकती है.
3. जिंदगी में सिर्फ एक बार होता है स्वाइन फ्लू
यह एक भ्रम है. यह जरूर है कि एक बार आप H1N1 वायरस की चपेट में आकर उबरने के बाद आपका शरीर भीतर ही उस वायरस विशेष के खिलाफ प्रतिरोधी ताकत पैदा करने की कोशिश करता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको दोबारा इस वायरस का संक्रमण नहीं होगा. अगर आप अकसर संक्रमित लोगों के संपर्क में आ रहे हैं तो आप दोबारा-तिबारा इसके शिकार हो सकते हैं. हालांकि वैक्सीनेशन का विकल्प भी है जो एक साल तक आपको इस वायरस से बचाए रखता है.
4. पोर्क खाने से होता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू का जन्म भले ही सुअरों से हुआ हो, लेकिन इसके फैलने का पोर्क खाने या न खाने से कोई लेना देना नहीं है. H1N1 वायरस सबसे ज्यादा हवा के जरिये फैलता है. जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या किसी भी सतह पर मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है. यह कण हवा के जरिये या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं. यानी स्वाइन फ्लू का वायरस हाथ मिलाने और गले लगने के अलावा किसी दरवाजे, फोन, कीबोर्ड, रिमोट कंट्रोल के जरिये भी फैल सकता है.
5. स्वाइन फ्लू के वायरस का हो गया है म्यूटेशन
भारत की दो प्रमुख लैब- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे और नेशनल सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल दिल्ली के हफ्ते भर पुराने शोध के मुताबिक वायरस का म्यूटेशन नहीं हुआ है. किसी जीन के डीएनए में कोई स्थायी परिवर्तन होने की प्रक्रिया को बायोलॉजी में म्यूटेशन कहते हैं.
जरूरी नहीं है कि हर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर आपको अनिवार्य रूप से यह वायरस अपनी चपेट में ले ले. कम इम्युनिटी के लोगों पर H1N1 का शिकार होने का खतरा ज्यादा होता है.
स्वाइन फ्लू के अहम लक्षणों में 101 डिग्री से ज्यादा का बुखार तीन दिन से ज्यादा समय तक रहता है. सांस लेने में तकलीफ, कफ, छाती में दर्द, सुस्ती, थकान, उल्टी और भूख का न लगना भी इसे अहम लक्षण हैं.