प्यार करने की ख़ता क्या इतनी बड़ी हो सकती है कि एक ख़ुशनुमा ज़िंदगी को नर्क में बदल दिया जाए. बैंगलोर में यही हुआ 22 साल की एक युवती के साथ. ख़ुद उसी के घरवालों ने लड़की को 4 साल पहले कालकोठरी में क़ैद कर दिया. पड़ोसियों की मदद से अब उसे रिहाई मिली, तो वो 26 साल की हो चुकी है.
जब लड़की के कमरे को खोला गया तो देखने वाले सन्न रह गए. बेतहाशा बढ़े हुए मटमैले नाख़ून, चमड़ी पर ज़माने भर की गर्द, चेहरा पीला पड़ा हुआ, कपड़े आधे-अधूरे और ज़िंदगी के नाम पर सिर्फ़ सांसे थीं जो ख़ामोशी से चल रही थीं. सीलन और बदबू से भरे हुए छोटे से कमरे में एक नौजवान लड़की की ऐसी हालत, देखने वालों के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी. अपने ही घर के भीतर वो ना जाने कब तक कैद रहती, अगर पड़ोसियों ने उसकी कराह ना सुनी होती.
जब पड़ोसियों को पता चला तो कमरे में दाखिल हुए. पता चला कि वो उसी जगह पर पिछले 4 साल से पड़ी हुई है. दिनचर्या के सारे काम भी उसी जगह पर करती रही. वो वहां अधनंगी हालत में थी.
जब आख़िरी बार पड़ोसियों ने उसे देखा था तब वो 22 साल की थी. हंसमुख, सामाजिक और हौसले से भरी हुई. फिर ऐसा क्या हुआ कि ख़ुद घरवालों ने उसकी ज़िंदगी को नर्क बना दिया. पड़ोस के लोग बताते हैं कि उसे एक लड़के से प्यार हो गया था और ये बात घरवालों को अच्छी नहीं लगी.
लड़की की पड़ोसी सीमा ने बताया, वो बहुत अच्छी और ऐक्टिव लड़की थी. वो एमईएस कॉलेज में पढ़ती थी. ऐसा लगता है कि यही सोचकर उसे कमरे में कैद किया गया कि कहीं वो उस लड़के के साथ भाग ना जाए.
पड़ोसियों के बुलावे पर पुलिस आई तो पिता ने बताया कि उनकी बेटी, फालिज का अटैक आने से मानसिक तौर पर बीमार हो गई थी. इसीलिए उसे कैद में रखना पड़ा. ख़ैर, पुलिस ने लड़की को कैदख़ाने से छुड़ाकर अस्पताल में भर्ती कराया. पुलिस फिलहाल, लड़की की हालत सुधरने का इंतज़ार कर रही है ताकि ख़ुद उसी की ज़ुबानी, उसकी दर्द भरी कहानी का पता चल सके.