नए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को अपना पदभार संभाल लिया. हाल में हुई कई रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेने वाले सुरेश प्रभु की पीयूष गोयल ने काफी प्रशंसा की. इस दौरान पीयूष गोयल ने कहा कि प्रभु उनके मार्गदर्शक रहे हैं, आज मेरे लिए काफी भावुक दिन है. सुरेश प्रभु मेरा मार्गदर्शन करते रहे हैं, पिछले 20 वर्षों से मुझे निर्देशित करते रहे और मेरा ध्यान रखा. कई बार हमें साथ काम करने का मौका मिला. गोयल के पदभार ग्रहण के दौरान प्रभु वहां मौजूद रहे. पीयूष गोयल के लिए ये पद कांटों से भरा ताज की तरह है.
हाल ही में हुए एक के बाद एक एक्सीडेंट के बाद रेलवे सवालों के घेरे में आ गया है. ऐसे में गोयल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी वापस से लोगों का भरोसा रेलव में लाने की होगी. पदभार संभालने के बाद गोयल ने ट्वीट किया कि भारत के लोगों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, गतिशीलता और सेवा की दिशा में काम करने का लक्ष्य है.
23 अगस्त को प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बाद से प्रभु कार्यालय नहीं आए और पिछले महीने हुई दुर्घटनाओं के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी. गोयल को इस तथ्य से मदद मिलेगी कि प्रभु ने लंबी अवधि के वित्त प्रबंधन और रेल विकास प्राधिकरण स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए हैं. उन्होंने ऐसी नींव रखी है जिसके आधार पर गोयल आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार और तकनीकी उन्नयन का निर्माण तेज कर सकते हैं, जो कि धन की कमी के कारण लेट हुई.
हालांकि, नौकरशाह को संभालना गोयल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है. नौकरशाह का अच्छे से इस्तेमाल ही उनकी सफलता की कुंजी होगी. नौकरशाह का काम करने का तरीका आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बाधा है. प्रभु लगातार प्रयासों के बावजूद रेल नौकरशाही को वश में करने में विफल रहे. गोयल ने कहा कि तीन साल में भारी निवेश किया गया है जो निश्चित रूप से रेलवे को विकास की ओर ले जाएगा.
गोयल ने कहा, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में प्रभु ने मेरे पिता के साथ काम किया और उस समय वह ऊर्जा मंत्री थे और उस समय उन्होंने जो नेतृत्व दिखाया उसी कारण हमारा देश ऊर्जा के क्षेत्र में आज समर्थ बन सका है. उन्होंने कहा कि प्रभु उस समय नदियों को जोड़ने वाले कार्यबल के प्रमुख थे, जिसमें गोयल सदस्य थे.