श्रम कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव के खिलाफ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन आज हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल से आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि, बीजेपी के समर्थन वाली भारतीय मजदूर संघ (एमएस) और नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस हड़ताल से हट गई हैं. सरकार ने यूनियनों से आंदोलन वापस लेने की अपील की है.
हड़ताल पर जा रहे दस यूनियनों का दावा है कि सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है. इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं. मंत्रियों के समूह के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया. असंगठित क्षेत्र के कई संगठनों ने भी हड़ताल को समर्थन की घोषणा की है.
परिवहन सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि हड़ताल से आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी. मुझे नहीं लगता कि इसका अधिक असर रहेगा. मैं उनसे श्रमिकों और देशहित में हड़ताल वापस लेने की अपील करता हूं.' यूनियन नेताओं ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी.
हालांकि बीएमएस ने दावा किया है कि कि आम हड़ताल से बिजली, तेल और गैस की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बड़ी संख्या में कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में हो रही हड़ताल से हट गए हैं.
12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था. उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है. पिछले सप्ताह वरिष्ठ मंत्रियों के समूह के साथ वार्ता बेनतीजा रहने के बाद दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल के आह्वान पर आगे बढ़ने का फैसला किया.