ट्रेन 18' ने अपना पहला ट्रायल सोमवार को पूरा कर लिया. ट्रेन की खासियत यह है कि इसमें मेट्रो की तर्ज पर यात्री डिब्बे के एक हिस्से में इंजन लगा हुआ है. अब इस खास ट्रेन का परीक्षण 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर किया जाएगा.
परीक्षण के लिए ट्रेन को कोटा पहुंचा दिया गया है. आईसीएफ चेन्नई में बनी 'ट्रेन 18' का परीक्षण 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर करने की तैयारी है. अपने पहले परीक्षण में उत्तरी रेलवे के मुरादाबाद डिविजन पर यह ट्रेन 115 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से दौड़ी. अब इस ट्रेन को अगले परीक्षण के लिए कोटा पहुंचा दिया गया है.
अगला परीक्षण 1 दिसंबर को
कोटा में 1 दिसंबर से कोटा और सवाई माधोपुर के बीच में इस अत्याधुनिक ट्रेन को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चला कर देखा जाएगा. इस रफ्तार पर देश में पहली दफा परीक्षण किया जा रहा है. देश में सबसे तेज रफ्तार चलने वाली गाड़ी गतिमान एक्सप्रेस जो दिल्ली से आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार पकड़ती है.
पहला ट्रायल कामयाब
रेल मंत्रालय के मुताबिक देश में मेक इन इंडिया के तहत मनाई गई अत्याधुनिक 'ट्रेन 18' का ट्रायल मुरादाबाद से बरेली के बीच में 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफल रहा है. इस बात की घोषणा आरडीएसओ ने कर दी है कि मुरादाबाद से बरेली के बीच में ट्रेन का तकनीकी ट्रायल किया गया था.
इसमें मुख्य तौर पर ऑसीलेशन ट्रायल किया गया. रेलवे ट्रैक पर 'ट्रेन 18' को चला कर देखा गया किस में किसी तरह की आवाज या कंपन होने की समस्या तो नहीं है. मुरादाबाद से बरेली के बीच में इस ट्रेन को चलाकर यह भी परखा गया कि इसके पहियों के बेयरिंग सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं.
रेल अधिकारियों के मुताबिक 'ट्रेन 18' की स्पीड ट्रायल कोटा से सवाई माधोपुर के बीच में सबसे पहले 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किया जाएगा. उसके बाद इस ट्रेन की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ाकर 180 किलोमीटर प्रति घंटे तक ले जाई जाएगी. अलग-अलग रफ्तार पर 'ट्रेन 18' की एक-एक हरकत पर नजर रखी जाएगी और यह देखा जाएगा की ट्रेन और ट्रैक में रफ्तार बढ़ने के साथ साथ तालमेल है या नहीं.
हर डिब्बे में सेंसर
इस ट्रायल के लिए 'ट्रेन 18' में हर डिब्बे में आरडीएसओ ने सेंसर लगाए हुए हैं. इसके साथ ही हर डिब्बे में हर एक सीट पर सवारी के वजन के हिसाब से रेत की बोरियां रखी गई हैं. रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस अत्याधुनिक ट्रेन का ट्रायल दिसंबर के मध्य तक पूरा कर लिए जाने का टारगेट है और अगर सारी चीजें सही पाई जाती हैं तो नए साल पर 'ट्रेन 18' ट्रैक पर दौड़ रही होगी.
'ट्रेन 18' को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री ड्राइवर केबिन को अंदर से देख सकते हैं. साथ ही आधुनिक सुविधाओं से लैस इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे, वाई-फाई, इंफोटेनमेंट समेत अन्य कई सुविधाएं भी मिलेंगी. 'ट्रेन 18' के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे. प्रत्येक में 52 सीट होंगी, वहीं सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी.
'ट्रेन 18' की पांच और इकाइयों का निर्माण वर्ष 2019-20 के अंत तक आईसीएफ द्वारा निर्माण किया जाएगा. कुल 16 कोच वाली यह ट्रेन सामान्य शताब्दी ट्रेन के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत कम समय लेगी. शताब्दी एक्सप्रेस की स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड है.
18 महीने में बनी 'ट्रेन 18'
भारत ने पहली बार ऐसी ट्रेन का निर्माण किया है और वह भी इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने महज 18 महीने में इस काम को अंजाम दिया है. निर्माण वर्ष 2018-19 के अंदर ट्रेन की एक और इकाई का निर्माण हो जाएगा और चार और इकाइयों का उत्पादन निर्माण वर्ष 2019-20 के अंत तक कर लिया जाएगा.
इस ट्रेन का नाम 'ट्रेन 18' इसलिए पड़ा क्योंकि रेलवे इस ट्रेन को इसी साल यानी 2018 में लॉन्च करने वाली है. इस ट्रेन को देश में ही तैयार किया गया है. यह ट्रेन मेक इन इंडिया का हिस्सा है.