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विभागीय लड़ाई की वजह से हो रही मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'ट्रेन 18' की लॉन्चिंग में देरी

भारत की अब तक की सबसे तेज गति वाली ट्रेन 18 की लॉन्चिंग टलती जा रही है. इसका जनता को बेसब्री से इंतजार है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस देरी के पीछे रेलवे की आपसी विभागीय लड़ाई को माना जा रहा है.

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ट्रेन 18 की लॉन्चिंग टल गई है
ट्रेन 18 की लॉन्चिंग टल गई है

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मिनी बुलेट ट्रेन कही जाने वाली ट्रेन 18 का देश की जनता को बेसब्री से इंतजार है. लेकिन यह हैरान करने वाली जानकारी सामने आ रही है कि रेलवे की आंतरिक विभागीय लड़ाई में इसकी लॉन्चिंग टलती जा रही है. इस ट्रेन की शुरुआत 25 दिसंबर से होनी थी, लेकिन अब यह कब शुरू होगी, इसके बारे में फिलहाल कुछ पुख्ता नहीं हो पा रहा. मोदी सरकार इस ट्रेन को लेकर काफी उत्साहित है. पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि कुंभ मेले की शुरुआत से पहले पीएम मोदी वाराणसी तक चलने वाली इस ट्रेन को हरी झंडी दिखा देंगे.

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक बुधवार को रेलवे बोर्ड की मीटिंग में भी इसके बारे में कोई समाधान नहीं हो पाया. इलेक्ट्र‍िकल इंस्पेक्टर जनरल (EIG) सेफ्टी सर्टिफिकेट को लेकर रेलवे के इलेक्ट्र‍िकल और मेकैनिकल विंग के बीच घमासान को देखते हुए अब रेलवे बोर्ड इस मसले को चीफ कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (CCRS) को वापस भेजने पर विचार कर रहा है. पिछले महीने सीसीआरएस ने ट्रेन को अधिकतम 160 किमी की स्पीड से चलाने के लिए मंजूरी दी थी, लेकिन इसके लिए 20 तरह की शर्तें भी लगा दी गईं. इनमें ईआईजी सर्टिफिकेशन और दुर्घटनाओं से बचने के लिए लाइन के किनारे फेन्सिंग यानी जाल लगाने जैसी शर्ते शामिल हैं.

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खबरों के अनुसार सीसीआरएस के आदेश में कहा गया है, 'सभी तरह के इलेक्ट्र‍िकल सिस्टम के लिए सेफ्टी सर्टिफिकेशन का काम जोनल रेलवे के ईआईजी के द्वारा किया जाएगा और ट्रेन के संचालन से पहले इसकी रिपोर्ट कमीशन के पास जमा करनी होगी.'

बताया जाता है कि रेलवे का इलेक्ट्र‍िकल विभाग इस बात पर अड़ा है कि जब तक ईआईजी सर्टिफिकेट नहीं मिलता, तब तक वह आगे नहीं बढ़ेगा, लेकिन मेकैनिकल विभाग का कहना है कि इंडियन इलेक्ट्र‍िसिटी एक्ट, 2003 के धारा 54 के मुताबिक सर्ट‍िफिकेशन जरूरी नहीं है. इस ट्रेन के प्रति रैक के विकास में 100 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है और इसके विकास में मेकैनिकल विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है.

रेलवे मंत्रालय के सूत्रों ने आईएएनस को बताया कि आईसीएफ के प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्र‍िकल इंजीनियर ने साफ तौर पर ट्रेन की सुरक्षा के लिए सर्टिफिकेट दे दिया है और कानून के मुताबिक अब इसे ईआईजी से किसी और तरह के सेफ्टी सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं है.

किसी भी ट्रेन की शुरुआत के लिए रेलवे के पूरे बोर्ड की हरी झंडी चाहिए होती है, इसलिए ईआईजी सर्टिफिकेट न मिलना ट्रेन 18 की शुरुआत के रास्ते में अड़चन बन रहा है. हालांकि कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि बोर्ड चाहे तो सीसीआरएस को नजरअंदाज कर सकता है, जैसा कि अप्रैल 2016 में गतिमान एक्सप्रेस की शुरुआत के लिए किया गया था. गतिमान एक्सप्रेस के लिए भी सीसीआरएस दिल्ली से आगरा के बीच फेन्सिंग कराने की मांग कर रहा था.

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