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ट्रांसजेंडर्स ने डाली याचिका, कहा- हम ना पुरुष न महिलाएं, इसलिए अलग से होनी चाहिए अदालत

एक बड़ा अजीबो-गरीब सा मामला आया है. किन्नरों ने एक अदालती केस को लेकर मांग की है कि इसकी सुनवाई महिला कोर्ट में नहीं होनी चाहिए. इस केस को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए.

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ट्रांसजेंडर्स (फाइल फोटो)
ट्रांसजेंडर्स (फाइल फोटो)

एक बड़ा अजीबो-गरीब सा मामला आया है. किन्नरों ने एक अदालती केस को लेकर मांग की है कि इसकी सुनवाई महिला कोर्ट में नहीं होनी चाहिए. इस केस को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए.

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चेन्नई के 11 किन्नरों के एक ग्रुप पर 19 साल के एक लड़के का अपहरण करने और जबरन सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाने का आपराधिक मामला महिला कोर्ट में चल रहा है. इन किन्नरों ने अब एक याचिका दायर कर मामला किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने की मांग की है.

इन किन्नर आरोपियों ने अपनी याचिका में कहा है कि वे न तो पुरुष हैं और न ही महिलाएं, इसलिए उनके लिए एक स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाना चाहिए. 2009 में 19 वर्षीय विनोद को इन किन्नरों ने किडनैप किया था और इस मामले में तमिलनाडु के क्राइम ब्रांच क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CBCID) ने 11 किन्नरों को गिरफ्तार किया था और बाद में उन पर चार्जशीट लगाई थी.

अब इन किन्नरों ने अपनी ताजा याचिका में कहा है कि जिस समय के आरोप उन पर हैं, तब विनोद एक पुरुष था इसलिए ये केस किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर होना चाहिए और वहीं ट्रायल होना चाहिए. हालांकि, इसके जवाब में CBCID ने कहा है कि हालांकि विनोद में महिलाओं जैसे लक्षण दिखते थे, लेकिन वह सेक्स बदलने के लिए ऑपरेशन कराने का इच्छुक नहीं था. परंतु आरोपियों ने जबरन उसका ऑपरेशन कर दिया गया.

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इस याचिका के साथ ही कई एनजीओ जो ट्रांसजेंडर्स के लिए काम कर रहे हैं, अलर्ट हो गए हैं. चेन्नई में ट्रांसजेंडर्स में एचआईवी संबंधी मसलों के लिए काम करने वाले एनजीओ इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर ऑर्गेनाइजेश (ICWO) के सचिव ए जे हरिहरण का इस बाबत कहना है कि सामान्य तौर पर ट्रांसजेंडर्स को महिलाओं की तरह ट्रीट किया जाता है और इस याचिका से मैं हैरान हूं. फिर भी इस मामले को ध्यान से देखना होगा और इसके बारे में विमर्श करना होगा.

वहीं, किन्नर समुदाय के लोग इस याचिका के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. उनका तर्क है कि पुरुष ही उनकी समस्याओं को अच्छे से समझ सकते हैं. इस मामले में जो आरोपी बनाए गए हैं, उन्हें महिला कोर्ट से न्याय नहीं मिल सकता. एक ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता पी सुधा का कहना है कि चूंकि ट्रांसजेंडर्स संख्या में बहुत ही कम होते हैं, इसलिए उनके लिए स्पेशल कोर्ट तो नहीं बनाया जा सकता, लेकिन इनके मामले महिला कोर्ट से इत्र चलने चाहिए.

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