एक महत्वपूर्ण आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र से कहा कि वह सभी अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी को संगठित सेवाएं माने जो स्थिरता को हटाएगा और उनके अधिकारियों के लिए पदोन्नति और सेवा से संबंधित अन्य लाभ सुनिश्चित करेगा.
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा कि अर्धसैनिक बलों के समूह ए के अधिकारियों को गैर कार्यकारी वित्तीय समुन्नयन (एनएफयू) समेत सारे लाभ 2006 से छठे वेतन आयोग के अनुरूप दिए जाने चाहिए. एनएफयू की अवधारणा वेतन आयोग ने लागू की थी और सरकार ने इसे समूह ए संगठित सेवा बताया था.
एनएफयू के तहत अगर रिक्तियों के अभाव के कारण किसी खास बैच के सभी अधिकारी ऊपर नहीं जा सके और सिर्फ एक पदोन्नति पा सका तो अन्य अधिकारी स्वत: वित्तीय समुन्नयन पदोन्नति पाने वाले के समान पाएंगे. हालांकि, इससे सिर्फ वित्तीय समुन्नयन होगा, न कि रैंक या अनुलाभ पर फर्क पड़ेगा.
पीठ ने कहा, सरकार ने खुद विभिन्न अधिसूचनाओं, पर्चों और आधिकारिक पत्रों में माना है कि उन्हें 1986 से संगठित सेवा माना जाए . पीठ ने कहा कि केंद्रीय बलों को संगठित सेवा माना गया है इसलिए उन्हें लाभ दिए जाने की आवश्यकता है. पीठ ने कहा कि केंद्रीय बलों के अधिकारियों को संगठित सेवा माना जाना चाहिए.
-इनपुट भाषा