राज्यसभा में मंगलवार को तमाम सांसदों ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकने की आदत पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाने की बात कही. कुछ सांसदों ने कहा कि खुले में थूकने की आदत को खुले में शौच जाने की आदत की तरह डील किया जाना चाहिए क्योंकि थूकने की आदत भारत की इंक्रेडिबल इंडिया की छवि के साथ मेल नहीं खाती.
प्रश्नकाल में टीएमसी सांसद नहीमुल हक ने कहा कि भारत एक थूकने वाला देश (स्पिटिंग कंट्री) है. हम जब बोर होते हैं तो थूकते हैं, थके होते हैं या गुस्से में होते हैं या फिर कुछ नहीं कर रहे होते, तब भी थूकते रहते हैं. हर जगह थूकते ही रहते हैं. उन्होंने जानना चाहा कि क्या इस बारे में कोई अध्ययन कराया गया है कि थूकने से टीबी की बीमारी फैलती है. नदीमुल हक ने कहा कि थूकने की आदत को भी स्वच्छ भारत अभियान में शामिल करने की जरूरत है.
इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा थूकने की आदत पर लगाम लगाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा जागरूकता अभियान शुरू करने से सहमत नजर आए. नड्डा ने कहा कि थूकने की आदत के खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं बनाया गया है लेकिन हम इस बारे में जागरूकता अभियान शुरू करने पर गौर करेंगे. नड्डा ने कहा कि इस पर कोई अध्ययन भी नहीं कराया गया है. लेकिन हम इस पर गौर करेंगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय के पास अलग बजट नहीं: नड्डा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता के लिये यह अच्छा आइडिया है. मैं इस बारे में बैठक करूंगा और देखूंगा कि क्या कर सकता हूं. थूकने की आदत से निपटने के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय का अलग से कोई बजट नहीं है.
भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज: तुलसी
केटीएस तुलसी ने कहा कि जरूरत इसकी है कि थूकने की आदत को खुले में शौच जाने की आदत की तरह माना जाए. उन्होंने कहा कि थूकने की आदत भारत की इंक्रेडिबल इंडिया की छवि के साथ मेल नहीं खाती. तुलसी ने कहा कि दुनिया में टीबी के सर्वाधिक मरीज भारत में पाए जाते हैं. हमारे यहां टीबी के मरीजों की संख्या चीन से भी ज्यादा है.
गुटखे के कारण थूकने की आदत बढ़ने पर भी उठा सवाल
सीपीएम के सीपी नारायणन ने भी कहा कि थूकने की आदत को खुले में शौच जाने की आदत की तरह डील किया जाना चाहिए. बीजेडी के अनुभव मोहंती ने जानना चाहा कि क्या सरकार इससे सहमत है कि थूकने की आदत गुटखे के कारण बढ़ रही है? इस पर नड्डा ने
कहा कि सरकार गुटखे का सेवन कम करने के लिये तमाम कदम उठा रही है.