तीन तलाक कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है. मुस्लिम एडवोकेट एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा है. इससे पहले 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत देते हुए तीन तलाक कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक कानून की वैधता का परीक्षण करने को तैयार हो गया था. इस पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था.
Muslim Advocate Association of Tamil Nadu approaches the Supreme Court challenging validity of law passed by Parliament to criminalise Triple Talaq. A Bench headed by Justice NV Ramana seeks reply from the Centre and tags the matter along with similar pending cases. pic.twitter.com/4RSqXCoMzI
— ANI (@ANI) September 13, 2019
इससे पहले अगस्त महीने में शीर्ष अदालत में इस कानून के खिलाफ दाखिल एक याचिका में कहा गया कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, लिहाजा इस कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक कानून के खिलाफ इस याचिका को 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा' ने दाखिल की है. 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा' केरल में सुन्नी मुस्लिम स्कॉलर और मौलवियों का एक संगठन है. आपको बता दें कि दूसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ संसद में बिल लाया था.
इस बिल को पहले लोकसभा से पारित किया गया और फिर राज्यसभा से पारित किया गया. संसद से पारित होने के बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31 जुलाई 2019 को अपनी मंजूरी दे दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2019 पूरी तरह कानून बन चुका है. इसको सरकारी गजट में भी प्रकाशित किया जा चुका है. सरकारी गजट में प्रकाशित होने के साथ ही कानून लागू मान लिया जाता है.