असहिष्णुता के मुद्दे पर अवॉर्ड लौटाने वालों की एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. अवॉर्ड लौटाने वाले साहित्यकार और लेखकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी की जनरल नॉलेज और होमवर्क कमजोर है. दरअसल भुवनेश्वर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने सवाल उठाया था कि असहिष्णुता के नाम पर अवॉर्ड लौटाने वाले ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर खामोश क्यों हैं.
पीएम मोदी ने अवॉर्ड लौटाने वालों पर तंज कसते हुए उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए थे. पीएम ने कहा था ट्रिपल तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अवॉर्ड लौटाने वाली टीम कहां है. अब वो कुछ क्यों नहीं बोलते.
पीएम मोदी के इस तंज पर वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार मंगलेश डबराल ने दो टूक जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'पीएम का होमवर्क और उनकी जनरल नॉलेज कमजोर है. पहले भी वो अपने भाषणों में कई हास्यास्पद बातें कह चुके हैं, जो सच्चाई से परे हैं. यहां भी पीएम ने जता दिया कि अवॉर्ड वापसी की फांस अब तक उनके दिल में गहरे तक चुभी हुई है. तभी तो दर्द अब तक टीस रहा है. कुछ ऐसा ही संघ से जुड़े लोगों का भी हाल है.' उन्होंने कहा कि हमारा काम हर चीज पर बोलना नहीं है.
अवॉर्ड वापसी अभियान की अगुवाई करने वाले साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी पीएम की टिप्पणी का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमें जो भी कहना है लिख कर कहेंगे. हम इतने अहम नहीं हैं कि पीएम को हर मुद्दे पर हमारी टिप्पणी का इंतजार है. हमें जब भी बोलना होगा हम बोलेंगे.
वाजपेयी ने कहा कि तीन तलाक सामाजिक मुद्दा है लेकिन इसे राजनीतिक रूप दिया गया. उन्होंने कहा कि अवॉर्ड वापसी का मुद्दा बिल्कुल अलग था. उसे ट्रिपल तलाक से जोड़ना मुनासिब नहीं है.
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