एक लंबे इंतज़ार और बहस के साथ आखिरकार लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ बिल पास हो गया. केंद्र सरकार ने तीन तलाक देने पर मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 (The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill) नाम से बिल लाई है. लोकसभा में कुछ विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन किया. सरकार और विपक्ष की ओर से इस वार-प्रतिवार हुआ, तीखी बहस हुई. इस दौरान कई सवाल-जवाब भी हुए.
विपक्ष का सवाल: जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक बिल को गैरकानूनी घोषित किया गया, तो कानून लाने की क्या जरूरत थी?
सरकार का जवाब: कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बहस में बताया कि 2017 में तीन सौ ट्रिपल तलाक हुए, जिसमें 100 सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुए हैं. गुरुवार सुबह ही रामपुर में एक महिला को इसलिए तलाक दिया गया, क्योंकि वो देरी से उठी थी.
विपक्ष का सवाल: तलाक के बाद अगर पति जेल चला जाएगा, तो पत्नी को पैसा कहां से मिलेगा?
सरकार का जवाब: गैरजमानती सजा होने की वजह से थाने से बेल नहीं मिल सकती है, लेकिन मजिस्ट्रेट के पास से बेल मिल सकती है. मजिस्ट्रेट के पास CRPC Sec 125 के तहत ये अधिकार है. लेकिन पति की आय के अधिकार पर ही पत्नी को मिलने वाला मुआवजा तय होगा.
विपक्ष का सवाल: कानून के कारण लोगों के परिवार टूटेंगे?
सरकार का जवाब: देश में दहेज और महिलाओं के खिलाफ प्रताड़ना करने पर भी सज़ा का प्रावधान है. लेकिन इसमें कोई ये तथ्य नहीं है कि इससे परिवार टूटेगा.
लोकसभा में पार, राज्यसभा में चुनौती
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 (The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill) पर एक बाधा पार कर ली है. गुरुवार को लोकसभा ने तीन तलाक बिल को पास कर दिया. अब इस विधेयक (Bill) को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अगर मोदी सरकार राज्यसभा में भी इस विधेयक को पास करा लेती है, तो फिर इसको राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.
अब राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा होगी, जहां बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का बहुमत नहीं है. तीन तलाक के खिलाफ इस बिल में सजा के प्रावधान को लेकर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही इसमें संशोधन की मांग कर रहे हैं. लोकसभा में भी AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य ने संशोधन प्रस्ताव पेश किए, लेकिन समर्थन नहीं मिलने से खारिज हो गए. अब सरकार के लिए राज्यसभा से इस बिल को पारित कराना बड़ी चुनौती है.