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तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में घिरी मोदी सरकार, हंगामे के बीच सदन स्थगित

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार दोपहर बाद ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया. ये विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है और राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण इसे पारित कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती हो सकती है.

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तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश
तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश

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लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश हो गया. उच्च सदन में इस पर गर्मागर्म बहस हुई.  विपक्ष ने इस बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संशोधनों का प्रस्ताव रखा. सरकार बिना किसी संशोधन के इसे सदन से पास कराना चाह रही है, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ और उपसभापति ने कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित कर दी.

बुधवार को राज्यसभा में क्या हुआ

जेटली बोले- विपक्ष ने 24 घंटे पहले नहीं दिया संशोधन

राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसी भी संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि संशोधन 24 घंटे पहले दिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ठीक तीन बजे सदन में संशोधन रखे गए हैं.

जेटली ने कहा कि आनंद शर्मा एक गलत परंपरा की नींव रखना चाहते हैं कि सदन में बहुमत वाली कोई भी पार्टी या समूह सेलेक्ट कमिटी के सदस्यों का नाम तय कर सकती है.

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उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि आपने एक सदन में बिल का समर्थन किया और दूसरे सदन में आप इसे पास होने से रोकना चाहते हैं.

कांग्रेस ने रखा संशोधनों का प्रस्ताव

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के नाम उपसभापति को दिए जो सेलेक्ट कमिटी में होंगे. इनमें तीन कांग्रेस के थे. शर्मा ने कहा कि सरकार अपने सदस्यों के नाम सुझाए. कांग्रेस नेता का कहना था कि ये सेलेक्ट कमिटी बजट सत्र के दौरान अपने सुझाव सौंपेगी. उनका कहना था कि सरकार पहले संशोधनों को स्वीकार करें और फिर बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजें.

आनंद शर्मा ने कहा कि हम तीन तलाक बिल का विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि जब एक सदन से पास होकर बिल राज्यसभा में आया है तो ये हम सबकी जिम्मेदारी है. कोई भी विधेयक विधायी जांच के माध्यम से गुजरना चाहिए.

रबर स्टैंप नहीं हो सकती संसद: आनंद शर्मा

उन्होंने कहा कि संसद रबर स्टैंप नहीं हो सकती. कोई भी कानून विधायी जांच से होकर गुजरना चाहिए ताकि किसी भी तरह की गलती को ठीक किया जा सके. शर्मा ने कहा कि अगर डेडलाइन 22 फरवरी है, तो इसे बजट सेशन के पहले सप्ताह में ले आइए. बता दें कि जनवरी के आखिरी हफ्ते में बजट सेशन शुरू होगा. 

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'महिला समर्थक हैं तो महिला आरक्षण बिल पास करो'

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हम बिल का समर्थन करते हैं, हमने सत्ताधारी दल से पार्टी और एनडीए से अपने नाम देने को कहा, हम महिला विरोधी नहीं हैं, आप महिला समर्थक हैं तो महिला आरक्षण बिल पास करो, हमने पास किया था, इन्होंने अब तक क्यों नहीं किया, यह देश की सभी महिलाओं के लिए फायदेमंद होगा.

स्मृति और डेरेक ओ ब्रायन में बहस

राज्यसभा में हंगामे के दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और स्मृति ईरानी के बीच खूब बहस हुई. टीएमसी नेता ने कहा कि नियम-232 का उल्लंघन हुआ है और हम इस पर वोटिंग चाहते हैं. इस पर स्मृति ईरानी से उनकी जोरदार बहस हुई.

दूसरी ओर राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि केवल अकाली दल इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ है. यहां तक कि शिवसेना ने भी सदन से वॉकआउट किया है. कांग्रेस और उसके सहयोगियों के अलावा 17 पार्टियां सेलेक्ट कमिटी के पक्ष में हैं. इनमें बीजेडी और टीडीपी जैसे दल भी शामिल हैं.

कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने इसे साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव को देखते हुए बीजेपी तीन तलाक बिल को जिंदा रखना चाहती है.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया बिल

इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया.  प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया और राज्यसभा में इसे रोकना चाहती है.

बहस से भागना चाहती है कांग्रेसः कानून मंत्री

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर सदन में कोई भी रचनात्मक सुझाव आएगा तो हम खुले मन से सोचने को तैयार है. मगर कांग्रेस बहस से भागना चाहती है, कांग्रेस बिल को लटकाना चाहती है. यहां बहुमत नहीं है तो कांग्रेस हमें रोकने की कोशिश कर रही है.

लोकसभा में पास हो चुका है बिल, पर राज्यसभा में राह क्यों मुश्किल?

बता दें कि ये विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है. राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण इसे पारित कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती हो सकती है. संसद का शीतकालीन सत्र अपने अंतिम पड़ाव में है और इसमें मोदी सरकार मौजूदा सेशन का सबसे महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश में है. मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हो चुका है.

सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास कराने के बाद जल्द से जल्द राष्ट्रपति की अनुमति के बाद कानून की शक्ल देने के मूड में है. लेकिन राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों की तरफ से सरकार को सहयोग का कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला कि वह इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने या फिर इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सदन में दबाव नहीं डालेंगे.

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क्या है विपक्ष का रुख?

कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके समेत कई विपक्षी दल ऐसे हैं जो सीधे सीधे इस बिल का विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि इस पर और विचार विमर्श करने के लिए इसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. इन विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि इस दिल में तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल तक के लिए जेल भेजने का जो प्रावधान है वह गैर जरूरी है. इससे मामला सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ जाएगा. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है.

हालांकि, सरकार की दलील है कि यह बेहद छोटा सा कानून है जोकि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर बनाया जा रहा है और इसमें हर स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए गए हैं.

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