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कांग्रेस की इस एक मांग पर राज्यसभा में लटक गया मोदी सरकार का तीन तलाक बिल?

मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' को लोकसभा में पेश किया था. कुछ विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद ये बिल बिना किसी संशोधन के पास हो गया था. कांग्रेस ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विरोध तो किया लेकिन समर्थन करके पास कराया था.

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राज्यसभा में फंसा तीन तलाक बिल
राज्यसभा में फंसा तीन तलाक बिल

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तीन तलाक विरोधी बिल पिछले दो दिन से राज्यसभा में लटका हुआ है. आज शीतकालीन सत्र केे आखिरी दिन बिल पास नहीं हो सका. कांग्रेस तीन तलाक विरोधी बिल पर अड़ियल रुख अख्तियार किए हुए है. संसद अनिश्चितकालीन के लिए सत्र के लिए स्थगित हो गई है.

कांग्रेस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात कर रही है, लेकिन सरकार इस बात पर अड़ी है कि राज्यसभा में बहस कीजिए. लेकिन देखा जाए तो कांग्रेस की महज एक ही मांग है, जिस पर मोदी सरकार राजी नहीं हुई. इसके चलते तीन तलाक विरोधी बिल इस सत्र में पास नहीं हो सका.

बता दें कि मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' को लोकसभा में पेश किया था. कुछ विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद ये बिल बिना किसी संशोधन के पास हो गया था. कांग्रेस ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विरोध तो किया लेकिन समर्थन करके पास कराया था.

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तीन तलाक के प्रस्तावित कानून में तीन तलाक को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया है. इसके तहत तीन तलाक देने पर तीन साल की सजा और पत्नी को जुर्माना देने का प्रावधान है. इसके अलावा मजिस्ट्रेट के जरिए पत्नी को बच्चे को लेने का अधिकार भी निर्धारित किया गया है. कांग्रेस चाहती है जुर्माने का जो प्रावधान है, उसके लिए सरकार जिम्मा उठाए और फंड की व्यवस्था करे. क्योंकि कोई पति अगर अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वो जेल चला जाएगा. ऐसे में पत्नी को जुर्माना कौन देगा और कैसे देगा. ऐसे में सरकार इसके लिए व्यवस्था करे.

बता दें कि मोदी सरकार के मंत्री राज्यसभा में कांग्रेस के सहयोग के लिए संपर्क साधा, लेकिन बात नहीं बन सकी. पिछले तीन दिनों में पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री विजय गोयल ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ मुलाकात की थी. सूत्रों की माने तो इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के सभी नेता तीन तलाक के विरोध में हैं, लेकिन विधेयक के प्रावधान के मुताबिक तीन तलाक देने वाला व्यक्ति जेल चला जाएगा. ऐसे में वो पत्नी को जुर्माना कैसे देगा. इस तरह पीड़िता और उसके बच्चे के साथ अन्याय होगा.

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गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को सदन में अपने सुझाव को दोहराया और कहा कि जब तक एक महिला का पति जेल में है, जो परिवार के रखरखाव का भुगतान करने वाला है? सरकार को एक प्रावधान करना चाहिए, जिसके तहत पीड़ित महिला को भत्ते का भुगतान हो.

बता दें कि कांग्रेस की ओर से लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान सुष्मिता देव ने इसी बात का जिक्र किया था. इसके अलावा कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस बात पर कड़ा एतराज जताया थे. विपक्षी नेता राज्यसभा में भी इसी बात को लेकर अड़े हुए हैं.

मोदी सरकार अगर विधेयक के इस प्रावधान को लेकर विपक्ष की समस्या को हल करती है. जिसमें पति के जेल जाने के बाद सरकार तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक सहायता देने की जिम्मेदारी लेती है, तो कांग्रेस इस विधेयक को राज्यसभा में समर्थन देने के लिए तैयार हो जाएगी. लेकिन बात नहीं बन सकी और सत्र अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित हो गई.

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