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आखिर 3 तलाक बिल के किन प्रावधानों पर मुस्लिम संगठनों को है ऐतराज?

बिल का नाम है ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’. इस विधेयक पर सियासी बहस तो संसद में होगी लेकिन मुस्लिम समाज में अभी से इसका विरोध शुरू हो गया है. सरकार जिस विधेयक को मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए क्रांतिकारी बता रही है, उसके प्रावधानों को लेकर मुस्लिम संगठनों से लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आशंकित है और कुछ सवाल के साथ-साथ अपत्तियां भी हैं, जिसे लेकर वो विरोध कर रहे हैं.

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तीन तलाक बिल पर बवाल
तीन तलाक बिल पर बवाल

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मोदी सरकार तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक आज लोकसभा में पेश करेगी. बिल का नाम है ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’. इस विधेयक पर सियासी बहस तो संसद में होगी लेकिन मुस्लिम समाज की ओर से भी इसका विरोध शुरू हो गया है. सरकार जिस विधेयक को मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए क्रांतिकारी बता रही है, उसके प्रावधानों को लेकर मुस्लिम संगठनों से लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आशंकित है और कुछ सवाल के साथ-साथ अपत्तियां भी हैं, जिसे लेकर वो विरोध कर रहे हैं.

विधेयक के प्रावधानों पर ये हैं पर्सनल बोर्ड की आपत्तियां-सवालः-

1- एक समय में तीन तलाक देने को सुप्रीम कोर्ट अवैध ठहरा चुका है. यानी जब तीन तलाक माना ही नहीं जाएगा तो उसके लिए सजा किस बात की दी जाएगी?

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2- ट्रिपल तलाक के साथ सरकार तलाक के अन्य प्रावधानों को भी खत्म करना चाहती है. तलाक मुस्लिम पुरुषों को शरियत से मिला अधिकार है. सरकार इस अधिकार को कैसे छीन सकती है?

3- तलाक का मामला सिविल एक्ट के तहत आता है, जिसे सरकार बिल के जरिए क्रिमिनल एक्ट बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो क्या तलाक के बाद पति-पत्नी के बीच सुलह की गुंजाइश खत्म नहीं हो जाएगी?

4- सरकार इस बिल के जरिए इस्लामिक शरियत में दखलअंदाजी करना चाहती है. मुस्लिम समुदाय को अपने धर्म के हिसाब से जीने का अधिकार संविधान से मिला है. क्या ये विधेयक मुस्लिमों की धार्मिक आजादी और संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं है?

5- मोदी सरकार मुस्लिमों के लिए बिल ला रही है, लेकिन मुस्लिमों के किसी भी पक्षकार से उसने बात नहीं की. न मुस्लिम धर्मगुरुओं से,  न मुस्लिम महिला संगठनों से और न मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से. बिना मुस्लिमों से विचार विमर्श के सरकार कैसे उनके लिए कानून बना सकती है?

6- बिल के तहत बच्चों की कस्टडी का भी प्रावधान है कि बच्चे मां के पास रहेंगे. इससे गरीब परिवारों पर बोझ बढ़ेगा, जो महिलाएं बच्चों को साथ नहीं रखना चाहती, उन्हें मजबूरी में बच्चों को रखना पड़ेगा. मुस्लिमों महिलाओं की गरीबी जगजाहिर है.

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7- नए बिल के प्रावधान के तहत कोई अनजान व्यक्ति भी तीन तलाक को लेकर शिकायत कर सकता है, इसमें पत्नी की शिकायत जरूरी नहीं रखी गई है. ऐसे में अगर पत्नी नहीं चाहती कि उसका पति जेल जाए, तो भी किसी दूसरे के शिकायत पर उसे जेल भेज दिया जाएगा. ऐसे में परिवार टूट जाएंगे

8-तीन तलाक देकर जब पति जेल चला जाएगा तो उसकी पत्नी को गुजारा भत्ता कौन और कैसे देगा?

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