तत्काल ‘तीन तलाक’ की कुप्रथा को दंडनीय अपराध बताने वाले एक अध्यादेश के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश संविधान का उल्लंघन करता है और भेदभावपूर्ण है.
इस जनहित याचिका को उच्च न्यायालय के एक वकील हुसैन अफरोज ने दायर किया है. वह जब सुनवाई के लिए अदालत में आए तो न्यायमूर्ति एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति पी टी आशा की एक पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील को निर्देश लाने को कहते हुए इस मामले की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख तय कर दी.
याचिकाकर्ता ने मुस्लिम महिला (विवाह के संबंध में अधिकारों के संरक्षण) के अध्यादेश के उपबंध 4-7 को चुनौती दी है जिसे 19 सितंबर से लागू किया गया है. याचिकाकर्ता ने इस अध्यादेश को कानूनी क्षेत्र से बाहर का बताया और इस अध्यादेश पर अंतरिम निषेधाज्ञा लाने की मांग की.
इससे पहले केरल के मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमीयतुल उलमा ने भी इस अध्यादेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है.