त्रिपुरा में सत्ता गंवा चुके निवर्तमान मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने गुरुवार को सरकारी आवास छोड़कर पार्टी कार्यालय को ही अपना नया घर बना लिया है. 20 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे माणिक सरकार अब सीपीएम कार्यालय में ही रहेंगे.
सीपीएम की राज्य इकाई के सचिव बिजन धर ने बताया कि माणिक सरकार अब मार्क्स ऐंगल्स सरणी स्थित अपने आधिकारिक आवास को खाली कर रहे हैं. यह उनके नए आवास से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. सरकार अब पार्टी कार्यालय के गेस्ट हाउस के एक कमरे में अपनी पत्नी पांचाली भट्टाचार्य के साथ रहेंगे.
सीपीएम कार्यालय के सचिव हरिपद दास ने कहा कि माणिक सरकार वही सब खाएंगे जो पार्टी कार्यालय की रसोई में बनाया जाएगा. दास ने कहा, ‘उन्होंने किताबें, कपड़े और कुछ सीडी पार्टी कार्यालय में भिजवा दिए हैं. अगर नई सरकार उन्हें सरकारी आवास आवंटित करती है तो वह उसमें जा सकते हैं.’
माणिक सरकार की पत्नी ने एजेंसी से कहा कि वह मार्क्सवादी साहित्य और किताबें पार्टी कार्यालय के पुस्तकालय और बीरचंद्र सेंट्रल लाइब्रेरी को दान कर देंगी. दंपति की कोई संतान नहीं है और माना जाता है कि माणिक सरकार ने सीएम रहते कोई संपत्ति अर्जित नहीं की है.
सबसे 'गरीब' मुख्यमंत्री
माणिक सरकार अपनी संपत्ति और सादा जीवन के लिए सुर्खियों में रहते आए हैं. दरअसल वो देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं और उनकी ओर से दिए गए संपत्ति के ब्यौरे के अनुसार उनके पास महज 1520 रुपये नगद है. बता दें कि 20 जनवरी को उनका बैंक बैलेंस 2410.16 रुपये था. 2013 में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान माणिक सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपना बैंक बैलेंस 9720.38 रुपये दिखाया था.
ढह गया लेफ्ट का किला
त्रिपुरा में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वाम किला ढहा दिया था. यहां बीते 25 साल से लगातार से सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट मोर्चे का शासन था और 20 वर्ष से सरकार की कमान माणिक सरकार के हाथ में थी. चुनाव में 35 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया, जबकि सीपीएम को 16 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है.
त्रिपुरा में बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन को 59 सीटों में से 43 सीटों पर जीत मिली. इस सरकार में बीजेपी के युवा नेता और प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब देब को मुख्यमंत्री बनाया जाना है.