संसद के दोनों सदनों से तेलंगाना बिल पास होने के बावजूद आंध्र प्रदेश्ा में कांग्रेस को कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा है. इंडिया टुडे ग्रुप/सी वोटर के ताजा सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के गढ़ रहे आंध्र प्रदेश में भी अब उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह कई दल सामने आएंगे.
सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय दलों ने तमिलनाडु, यूपी और बिहार की तरह आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय दलों से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है. चंद्रशेखर राव की अगुवाई में तेलंगाना राष्ट्र समिति कांग्रेस के समर्थन के बिना भी तेलंगाना में 'क्लीन स्वीप' कर सकती है. सर्वे के मुताबिक टीआरएस को इस इलाके की 17 में से 14 सीटें मिलने का अनुमान है.
वाई एस जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाई एस आर कांग्रेस सीमांध्र में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर सकती है. पहली बार चुनावी मैदान में कूद रही इस पार्टी को 25 में से 18 सीटें मिलने का अनुमान है.
तमाम सियासी उठापटक के बावजूद जगन के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी युनाईटेड आंध्र प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री बने हुए हैं. उनकी लोकप्रियता सीमांध्र की तुलना में तेलंगाना में ज्यादा है. जमीनी हकीकत यह है कि वाई एस राजशेखर रेड्डी अगर आज जिंदा होते तो तेलंगाना का गठन नहीं हो पाता.
हालांकि, आंध्र प्रदेश की अधिकतर सीटों पर बीजेपी का दबदबा नहीं है, लेकिन बीजेपी के पीएम कैंडिडेट और गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार बने हुए हैं. अगर बीजेपी का टीडीपी से गठबंधन हो जाता है तो तेलंगाना रीजन में टीआरएस को बड़ा झटका लग सकता है.
आंध्र प्रदेश के तेलंगाना और सीमांध्र क्षेत्र में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी का अगर टीआरएस में विलय हो जाए या उसके साथ गठबंधन कर लेती है, तो कुछ उम्मीद है.चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी भी अपने बूते इन दोनों क्षेत्रों में कुछ खास नहीं कर सकती है. सर्वे के मुताबिक पार्टी को आंध्र प्रदेश की 42 लोकसभा सीटों में से केवल छह सीटें मिलने का अनुमान है. मौजूदा लोकसभा में भी टीडीपी का संख्याबल इतना ही है. हैदराबाद सीट पर एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी का दबदबा बरकरार है.
सी वोटर ने यह सर्वे तेलंगाना, रायलसीमा, और तटीय आंध्र प्रदेश में 18 और 19 फरवरी को किया. इसमें 1500 लोगों से तेलंगाना गठन के मसले पर उनकी राय पूछी गई.