उत्तराखंड आपदा का एक महीना पूरा होने के बाद भी हजारों लोग लापता हैं. राज्य सरकार लापता लोगों को आज मृत घोषित कर सकती है.
आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड आपदा में 5,500 से ज्यादा लोगों का कुछ पता नहीं लगा पाया है. राज्य सरकार उन्हें मृत घोषित करने की तैयारी में है, ताकि उनके परिजनों को समय पर मुआवजा मिल सके.
अगर भविष्य में खोए हुए लोगों में कोई लौट आता है तो उसके परिवार को मुआवजा लौटाना होगा. इसके लिए लिखित में उनसे वादा लिया गया है. सरकार आज मृतकों का आंकड़ा भी जारी कर सकती है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, 'परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाएगा. हमने बहुत आसान प्रक्रिया रखी है. जो भी कागजी काम होगा, वह सरकार करेगी.'
नहीं पहुंच रही राहत सामग्री
लेकिन आपदा के जख्म मुआवजे से नहीं भरने वाले. जगह-जगह लोगों को छोटा-बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. कई जगहों पर अब भी राहत का सामान नहीं पहुंच पाया है.
प्रशासन की लापरवाही की घटनाएं भी सामने आई हैं. हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर राहत सामग्री सड़ रही है, पर उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. गोविंदघाट के घोड़ेवाले अपनी रोजी-रोटी के एकमात्र साधन घोड़ों को न निकाले जाने से नाराज हैं. उन्होंने जोशीमठ के डीएम ऑफिस में आमरण अनशन शुरू कर दिया है.
ढिलाई को लेकर भिड़े कांग्रेसी
राहत में ढिलाई को लेकर कांग्रेस के भीतर ही ठन गई है. केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने बहुगुणा सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा है कि कई एनजीओ दूर-दराज के इलाकों में राहत सामग्री लेकर पहुंच सकते हैं तो सरकार ऐसा क्यों नहीं कर पा रही. उन्होंने कहा कि सरकार राहत का सामान लोगों तक पहुंचाने में नाकाम रही है.
रावत यहां तक कह गए कि केंद्र सरकार आपदा राहत के लिए मोटी रकम देती है और फिर एमपी-एमएलए उसे आपस में ही बांट लेते हैं.
अगस्त के आखिर तक बनेंगी सड़कें
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सेल के प्रमुख पीयूष रौटेला ने बताया कि ज्यादातर अहम सड़कें अगस्त के आखिर तक दोबारा बना ली जाएंगी. फिलहाल प्रशासन पैदल (पहाड़ी) रास्तों के इस्तेमाल पर ही ध्यान दे रहा है ताकि प्रभावित इलाकों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा सके.
उन्होंने बताया कि खराब मौसम की वजह से केदारनाथ में शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने में अभी एक हफ्ते का समय और लगेगा. एनडीआरएफ की छह टीमें मानसून खत्म होने तक यहीं तैनात रहेंगी.
आस बाकी है
तबाही के एक महीने बाद भी कई लोग ऐसे हैं जो हिम्मत न हारते हुए अपने प्रियजनों को केदारनाथ में तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. परिवार वालों की तस्वीर के साथ वे केदार घाटी के गांवों के हर दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं.