खादी विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन (KVIC) के सालाना कैलेंडर और टेबल डायरी में गांधी की जगह मोदी की तस्वीर लगने पर तुषार गांधी ने तीखे तंज कसे.
‘कमजोर हुई विरासत’
गांधीजी के प्रपौत्र के मुताबिक वक्त आ गया है कि बापू अब KVIC को राम-राम कह दें. तुषार गांधी का कहना है कि यूं भी KVIC ने खादी और बापू दोनों की विरासत को कमजोर ही किया है. लिहाजा मोदी को चाहिए कि वो इस कमीशन को निरस्त कर दें.
नाराजगी नहीं दर्द!
तुषार गांधी पीएम मोदी पर भी बरसे. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी को 10 लाख के सूट पसंद हैं और शायद खादी भी गरीबों की पहुंच से बाहर हो गई है. गांधी ने साफ किया कि ये उनकी नाराजगी नहीं बल्कि दर्द है.
तुषार गांधी का कहना था कि जो लोग बापू के कातिल के हिमायती हैं उनके बारे में वो कुछ नहीं कहना चाहते. उनकी राय में स्वाधीनता संग्राम में कोई योगदान ना करने वाले लोग खादी की अहमियत नहीं समझ सकते.
गांधी की जगह मोदी
KVIC के इस साल के डायरी और कैलेंडर में गांधीजी की मशहूर तस्वीर में मोदी नजर आए हैं. हालांकि फोटो में वो धोती की जगह ट्रेडमार्क कुर्ते-पजामे और जैकेट में नजर आए हैं. जिस चरखे पर वो सूत कात रहे हैं वो भी थोड़ा आधुनिक है.
कर्मचारियों का विरोध
KVIC के कई कर्मचारी इसे राष्ट्रपिता का अपमान मान रहे हैं और उनमें से कुछ गुरुवार को लंच टाइम के दौरान मुंह पर काली पट्टी बांधे दिखे.
‘मोदी भी खादी के प्रतीक’
हालांकि KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना का कहना है कि मोदी की इस तस्वीर में कुछ भी गलत नहीं है और गांधीजी की इस मशहूर तस्वीर में पहली बार बदलाव नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘पूरा खादी उद्योग गांधीजी के आदर्शों पर आधारित है इसलिए उन्हें नजरअंदाज करने का सवाल नहीं उठता. मोदी भी लंबे वक्त से खादी पहनते आ रहे हैं और इसे देश-विदेश में लोकप्रिय बनाने में उनका भी योगदान है. उन्होंने खादी को अपना अलग अंदाज दिया है.’
सक्सेना के मुताबिक, ‘मोदी खादी के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर हैं. KVIC का मकसद गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है और मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ का ख्वाब इस अवधारणा से मेल खाता है. हम खादी के उत्पादन और मार्केटिंग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना चाहते हैं. मोदी युवाओं के लिए भी आदर्श हैं.’