सारा देश 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और इस खास मौके पर सीमा पर तैनात उन असली हीरोज को सलाम कर रहा है जो विपरीत परिस्थितियों में हर मुश्किल को झेलकर हमें सुकून से सोने और आजाद हवा में सांस लेने का मौका देते हैं. ये सच्चे राष्ट्र नायक हमारे सीमा प्रहरी हैं, जो हर पल सरहद पर तैनात रहते हैं. जान की परवाह किए बगैर, अपनों से सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर मातृभूमि की सेवा में डटे रहते हैं. गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व जहां हमें भारतीय होने के गर्व का अहसास कराते हैं, वहीं इन राष्ट्रनायकों को उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए सलाम करने का मौका भी होते हैं.
आसान नहीं है सीमा पर निडर होकर खड़े रहना
टीवीएफ के मनोहर विरानी ने अनूठे अंदाज में देश के असली नायकों यानी वतन के लिए जान देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी है. टीवीएफ ने हीरो मोटोकॉर्प के साथ मिलकर एक वीडियो बनाया है, जिसे यूट्यूब पर अपलोड किया गया है. इसमें विरानी ने एक दिन फौजियों के साथ बिताने का अनुभव पेश किया है. वीडियो में नजर आ रहा फौजियों का हौसला, जज्बा और देश के प्रति उनकी निष्ठा किसी को भी गर्व से भर देने के लिए काफी है. देश पर मर मिटने के लिए हर समय सीना ताने खड़े रहने वाले हमारे सैनिक दुश्मन के बुरे इरादों का मुंह तोड़ जवाब देते हैं, ताकि देश की सुरक्षा में कोई सेंध ना लगा सके. फौजियों के इसी जज्बे को बड़े बेहतरीन और दिलचस्प ढंग से दिखाया गया है.
हर पल रहना होता है सावधान
एक फौजी की जिंदगी एक आम कामकाजी नागरिक की तुलना में बिल्कुल अलग और मुश्किल होती है. आम लोग जब मन करे, कुछ देर के लिए ब्रेक ले लेते हैं. सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ मन बहला लेते हैं या फिर ऑफिस के बाहर टहलने चले जाते हैं. लेकिन एक फौजी को ड्यूटी के दौरान ब्रेक मिलना नामुमकिन होता है. फौजियों को हर पल अलर्ट रहना होता है क्योंकि उनके कंधों पर देश के सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. छोटी से छोटी हलचल पर भी पैनी नजर बनाए रखनी होती है क्योंकि दुश्मन कभी भी और कहीं से भी हमला कर सकते हैं. आज हर दूसरा इंसान स्मार्टफोन से चिपका नजर आता है. लेकिन कोई फौजी बंदूक छोड़कर स्मार्टफोन पर अपने मैसेज नहीं देखता. वह तो अपने घर से आने वाली चिट्ठी का इंतजार करता है. जब वो चिट्ठी उसे मिलती है, तो उसे पढ़कर ही संतोष कर लेता है.
फिल्मों से नहीं लगा सकतें सीमा पर जोखिम का अंदाजा
देश के असली नायकों की जिंदगी फिल्मी पर्दे से बिल्कुल अलग होती है. उनमें देशभक्ति की भावना बैकग्राउंड म्यूजिक से नहीं आती, बल्कि देशभक्ति उनके रग-रग में होती है. कई फिल्मों में फौजियों की जिंदगी को बेहद अलग तरीके से दिखाया गया है. लेकिन असल में फौजियों की जिंदगी काफी मुश्किल होती है. सरहद पर कोई वीकेंड नहीं होता है. अगर कोई फौजी पोस्ट पर बंदूक थामे खड़ा है और सामने से गोलियां चल रही हैं, तो लघुशंका के लिए भी घंटों तक इंतजार करना पड़ता है. आम इंसान इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर तैनात फौजियों के लिए जिंदगी कितनी मुश्किल होती होगी. पेट्रोलिंग के दौरान कब पैर के नीचे लैंडमाइन आ जाए कहा नहीं जा सकता. फौजियों का हर कदम खतरे से भरा होता है. अगले पल फौजियों की जिंदगी में क्या होगा, इसका पता किसी को नहीं होता. लेकिन इसकी परवाह किए बगैर फौजी अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं.
24 घंटे ऑन ड्यूटी रहते हैं फौजी
एक आम कामकाजी इंसान को ऑफिस से निकलकर घर भागने की हर रोज जल्दी होती है. लेकिन फौजियों को महीनों तक घर से दूर अपनी पोस्ट पर ही रहना पड़ता है. घर से काम करने का विकल्प भी फौजियों के पास नहीं होता है. सरहद पर घर के नाम पर सिर्फ टैंट होता है, जहां उन्हें कुछ घंटे आराम करने के लिए मिलते हैं. आज की युवा पीढ़ी को नींद के लिए घंटों सोशल मीडिया पर अपनी आंखों को थकाना पड़ता है. लेकिन वीडियो में बताया गया है कि फौजियों को सोने के लिए सरहद पर चार से पांच घंटे का समय ही मिलता है. इसमें चाहे सो लो या फिर दूसरे काम कर लो. हां, इस दौरान अगर दुश्मन हमला कर दे, तो नींद छोड़कर फिर पोस्ट संभालनी पड़ती है. एक फौजी 24 घंटे सरहद पर ऑन ड्यूटी होता है.
कुछ ऐसी ही होती है, हमारे देश के रियल हीरोज़ की जिंदगी. ये खुद तकलीफें सहते हैं, ताकि देश की आम जनता आराम से रह सके. आइए देश के इन रियल हीरोज़ को हम भी गणतंत्र दिवस के मौके पर सलाम करें.