कांग्रेस और बीजेपी के बीच ट्विटर पर तीखी नोकझोंक हुई. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्विटर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा कि जेटली ने त्रिपुरा (2015), मेघालय (2018) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों (1-4-2019) से AFSPA की वापसी के सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया? इस ट्वीट का जवाब देते हुए बीजेपी ने पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम पर निशाना साधा.
बीजेपी ने लिखा, 'पूर्व गृह मंत्री को पता होना चाहिए कि AFSPA को मेघालय, त्रिपुरा में और आंशिक रूप से अरुणाचल में वापस ले लिया गया था क्योंकि यहां हालाता सामान्य हो गए थे. इन राज्यों में यूपीए सामान्य स्थिति लाने में विफल रहा. एनडीए सफल रहा. क्या कश्मीर की स्थिति इन राज्यों के बराबर है?'
Is Mr @arunjaitley supporting 'enforced disappearance, sexual violence and torture'?
We say that in these three cases there should be no immunity under AFSPA. What does Mr Jaitley say?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 4, 2019Advertisement
इसके बाद पी. चिदंबरम ने ट्विटर पर लिखा, 'कांग्रेस में कोई टुकड़े टुकड़े गैंग नहीं है. केवल बीजेपी में एक फ्लिप फ्लॉप गैंग है.' इसका जवाब देते हुए बीजेपी ने ट्विटर पर लिखा, 'क्या फ्लिप-फ्लॉप? 1988 के मानहानि विधेयक के ड्राफ्ट्समैन ने मानहानि के पहले अपराध के लिए 2 साल की सजा और बाद में किए गए अपराधों के लिए 5 साल की सजा का सुझाव दिया था, जो अब इसे क्रिमिनल केस के दायरे से बाहर करने की दलील दे रहे हैं.
What Flip-Flop? The draftsman of the 1988 Defamation Bill suggested a punishment of 2 years for the first offence of defamation and 5 years for subsequent offences, is now pleading for decriminalisation. https://t.co/3SgSVBQwFs
— BJP (@BJP4India) April 4, 2019
पी. चिदंबरम ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा, क्या अरुण जेटली AFSA के दौरान यौन उत्पीड़न और यातना का समर्थन कर रहे हैं? हम कहते हैं कि इन मामलों में AFSPA के तहत कोई प्रतिरक्षा नहीं होनी चाहिए. क्या कहते हैं जेटली?
There are 1799 applications filed for prosecution of security officials under AFSPA, when terrorists are killed or arrested. It is always torture, theft and misbehaviour including with women which is alleged. https://t.co/HdF8K3qvp9
— BJP (@BJP4India) April 4, 2019
इसके जवाब में बीजेपी ने लिखा, 'AFSPA के तहत सुरक्षा अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए 1799 शिकायतें आई हैं, जब आतंकवादी मारे जाते हैं या गिरफ्तार किए जाते हैं. यह सभी मामले कथित तौर पर अत्याचार, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के होते हैं. अगर इन शिकायतों के प्रावधानों के दरकिनार कर दिया जाए तो यह संख्या दस गुना बढ़ जाएगी. सशस्त्र बलों के अधिकारी केवल संप्रभुता का बचाव नहीं करने वाले ट्रायल का सामना करेंगे. सशस्त्र बलों के साथ मत खेलिए.'
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