कासगंज हिंसा के दौरान हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले में पुलिस ने दो और मुख्य आरोपी नसीम और वसीम को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी घटना के बाद से फरार चल रहे थे.
एसपी कासगंज पीयूष श्रीवास्तव के मुताबिक, आरोपी भाइयों के पास से दो तमंचे भी बरामद किए गए. प्रशासन ने गिरफ्तार सलीम के दो हथियारों के लाइसेंस भी कैंसिल किए हैं. वहीं, इस मामले में अब तक 20 में से 111 नामजद आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश
जिस घर से चंदन गुप्ता को गोली मारी गई थी. सलीम उसी घर में रहता है. गौरतलब है कि कासगंज हिंसा के आरोपियों की संपत्ति की कुर्की करने के आदेश जारी किए गए थे. फरार चल रहे तीन मुख्य अभियुक्तों समेत 12 आरोपियों के घर पर संपत्ति की कुर्की का नोटिस चस्पा किया गया था. ये नोटिस सभी आरोपियों के घर मुनादी कराकर चस्पा किए गए थे. सभी आरोपियों को एक मार्च तक कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया है. कोर्ट में पेश नहीं होने पर इन सभी आरोपियों की संपत्ति की कुर्की कर ली जाएगी.
चंदन के पिता ने दर्ज कराई 18 लोगों के खिलाफ FIR
चंदन गुप्ता के पिता सुशील गुप्ता ने मामले में 18 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. मामले में सुशील गुप्ता ने जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है, उसमें सलीम, वसीम, नसीम, जाहिद उर्फ जग्गा, आसिफ कुरैली उर्फ हिटलर, असलम कुरैशी, असीम कुरैशी, नसरुद्दीन, अकरम, तौफिक, खिल्लन, शबाव, राहत, सलमान, मोहसिन, आसिफ जिम वाला, सादिक और बबलू शामिल हैं. इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 341, 336, 307, 302, 504, 506, 124A के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
यह है पूरा मामला
गणतंत्र दिवस पर VHP और ABVP के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्रा निकाली. तिरंगा यात्रा जब बिलमार गेट के पास अल्पसंख्यक समुदाय के मोहल्ले से गुजरने लगी तो तिरंगा यात्रा निकाल रहे युवकों ने भड़काऊ नारेबाजी की, जिससे दो गुटों में झड़प शुरू हो गई. झड़प इतनी बढ़ी की इसने हिंसा का रूप ले लिया.
दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई और गोलियां भी चलीं. फायरिंग में हिंदू समुदाय के एक युवक चंदन गुप्ता की मौत हो गई. युवक की मौत के बाद हिंसा ने उग्र रूप ले लिया. उग्र उपद्रवियों ने जमकर दुकानों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की. इलाके में भारी पुलिस और सुरक्षा बल तैनात करना पड़ा और कर्फ्यू लगा दिया गया.
इसके अगले दिन कर्फ्यू के बावजूद फिर से हिंसा भड़क उठी और उपद्रवियों ने दर्जनों बसों और वाहनों में आग लगा दी. इलाके के सभी आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. PAC और RAF की कई कंपनियां तैनात कर दी गईं और कासगंज छावनी में तब्दील हो गया.