नेताजी के नैसर्गिक स्वभाव से प्रभावित हो तीन-चार साल पहले सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक चुटकुला चला था 'रंग बेचने वाला मुलायम सिंह यादव नाम का रंग बेच रहा है. कहता है हर आधे घंटे में रंग बदलता है...' पिछले साल नेताजी की जगह पर टोपी वाले नउकए नेताजी का नाम जहिराया, इस बार वही चुटकुला विकास के पप्पा के नाम से फरिआ रहा है.
लोकतंत्र की यही तो खासियत होती है. चुनाव के बाद पता चलता है कि एक बार फिर चूना लग चुका है. नीतियां ऐसी कि चुटकुले तक हस्तांतरित हो जाते हैं. लोकतंत्र के इसी रंग में रंगकर हमने ढूंढ निकाले कुछ और रंग, कुछ और पिचकारियां...
मोदी छाप रंग:
दुकानवाला बेचते वक्त कह रहा था, सिर्फ वो इसे लाया है न कोई और लाया है, लगाते ही आपका गुड डे हो जाएगा. इस पर कालाधन और काला रंग नहीं चढ़ पाएगा. इस रंग का मुकाबला कोई विदेशी रंग भी नहीं कर पाएगा, इसे न ले जाने वालों को जनता माफ नहीं करेगी. ले आए हैं देखते हैं चुनावी जुमला न निकल जाए.
अरविंद केजरीवाल पिचकारी:
इस पिचकारी की खासियत है कि इसके पैकेट के साथ एक टोपी, झाड़ू और एक मफलर मुफ्त मिलेगा. दुकानवाला कह रहा था इसे घर ले जाते ही घर पर वाई-फाई के फ्री सिग्नल आने लगेंगे, लेकिन इस पिचकारी में कई रंग मिलाकर चलाने की कोशिश मत कीजिएगा, ‘सब मिले हुए हैं जी’ की आवाज आने लगेगी.
राहुल गांधी रंग:
इसकी खासियत ये है कि ये एक चर्चित खानदानी ब्रांड का रंग है. इसकी दूसरी खासियत यह है कि इसमें सिर्फ एक ही खासियत है. इस होली पर इस रंग की सबसे ज्यादा डिमांड है. कारण ये कि बच्चे भी इससे खेल सकते हैं. बाजार में ढूंढने पर पहले तो ये आपको कहीं नजर नहीं आएगा और अगर मिल भी गया, तो इस्तेमाल करने के बाद असर कहीं नजर नहीं आएगा.
अमित शाह पिचकारी:
गुजरात में निर्मित ये पिचकारी देशभर में सफलतापूर्वक चल चुकी है, सिर्फ दिल्ली में आकर काम की नहीं रह गई.
किरण बेदी गुलाल:
इस गुलाल को बनाने वाली कंपनी ने इन्हें बड़े जोर-शोर से लांच किया था, लेकिन शुरुआती असफलताओं के बाद बाजार से बिलकुल ही गायब हो गईं. अगर आप इन्हें कहीं खोज पाए, तो सौभाग्य आपका.
राजनाथ सिंह अबीर:
राजनाथ सिंह अबीर घर पर खेलने के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं. स्वाभावानुसार घर से बाहर खेलने पर ‘बैन’ है.
मनीष सिसोदिया:
इस रंग को घर ले जाने की सोचिएगा भी मत, दिल्ली चुनावों के बाद यूं भी इनके भाव बढ़े हुए हैं.
योगेंद्र यादव:
योगेन्द्र यादव आजकल पीएसी से बाहर निकाल दिए गए हैं. कोई बात नहीं, इस होली इनकी स्वीटनेस के चलते आप ‘मीठे’ के तौर पर घर ले जा सकते हैं.
(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय युवा व्यंग्यकार हैं)