उत्तर प्रदेश के नोएडा में खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने वाली आईएएस अफसर दुर्गाशक्ति नागपाल के निलम्बन को लेकर मचे बवाल के बीच राज्य सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई वापस नहीं लेने के संकेत दिये और कहा कि उस अधिकारी की लापरवाही से साम्प्रदायिक दंगा होने की आशंका थी. लिहाजा उसके विरुद्ध कार्रवाई की गयी और इस मामले में खनन माफिया की कोई भूमिका नहीं है.
प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति के पिछले दिनों हुए निलम्बन में खनन माफिया का हाथ होने की भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि दुर्गाशक्ति ने रबुपुरा थाना क्षेत्र के मुस्लिम बहुल कादलपुर गांव में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बगैर अदूरदर्शी तरीके से गिरवा दिया था. जिस जमीन पर वह दीवार बनायी जा रही थी, उसके मालिक को उस निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन कुछ अराजक तत्व पिछले कुछ समय से वहां साम्प्रदायिक दंगा कराने की साजिश रच रहे थे.
यादव ने बताया कि साजिशकर्ताओं ने उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति से मस्जिद की दीवार को लेकर विवाद होने की झूठी शिकायत की थी जिस पर विश्वास करके अधिकारी ने वह दीवार गिरवा दी. इससे वहां साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गयी थी.
यादव ने कहा कि सरकार लापरवाही बरतने वाले किसी भी अफसर के खिलाफ कार्रवाई करेगी और दुर्गाशक्ति के खिलाफ भी वही कार्रवाई हुई है. इसमें खनन माफिया की कोई भूमिका नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या दुर्गाशक्ति का निलम्बन वापस होगा, यादव ने कहा, ‘अभी कुछ नहीं, यह प्रशासनिक मामला है.’ इस बीच, अखिल भारतीय आईएएस संगठन ने मांग की है कि युवा आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन तुरंत वापस लिया जाए जिन्होंने उत्तरप्रदेश में रेत माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की थी.
संगठन के सचिव संजय आर. भूस रेड्डी ने दिल्ली में कहा, ‘जो कुछ भी गलत है उसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए. इस तरह की कार्रवाई अनुपयुक्त है.’ उन्होंने कहा कि संगठन के सदस्य कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री वी. नारायणसामी, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव, आईएएस के निजी मामलों के नोडल अधिकारी डॉ. श्यामल सरकार और कैबिनेट सचिव अजित सेठ से अपनी मांग को लेकर मुलाकात करेंगे.
रेड्डी ने कहा, ‘हम एमओएस, डीओपीटी सचिव और कैबिनेट सचिव से मुलाकात करेंगे. हम उनसे मामले में हस्तक्षेप करने और आईएएस अधिकारी का निलंबन वापस लेने की मांग करेंगे. हम अधिकारियों के लिए ऑल इंडिया सर्विसेज (अनुशासन एवं अपील) रूल्स 1969 में भी आवश्यक सुरक्षा की मांग करेंगे.’
संगठन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का केंद्रीय संगठन है जिसके वर्तमान में 4737 सदस्य हैं. संगठन उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव से पहले ही मुलाकात कर नागपाल के निलंबन को वापस लेने की मांग कर चुका है.
साल 2010 बैच की उत्तरप्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी नागपाल को प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर एक मस्जिद की दीवार ढहाने का आदेश देने के आरोप में 27 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था. उधर दिल्ली में कार्मिक मंत्री नारायणसामी ने कहा कि केंद्र उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गत 27 जुलाई को गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी सदर पद से निलम्बित की गयीं दुर्गाशक्ति ने कल शाम राजस्व परिषद लखनऊ के अध्यक्ष जगन मैथ्यूज के समक्ष परिषद में अपनी आमद दर्ज करा दी.
उधर, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि नागपाल के निलंबन से यह साबित हो गया है कि उत्तर प्रदेश में सपा के राज में ‘गुंडा और माफिया राज’ कायम है. उन्होंने मामले में केंद्र तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा हस्तक्षेप किए जाने की मांग की.
मायावती ने लखनऊ में पत्रकारों से कहा, 'प्रदेश की खराब व्यवस्था का शिकार यूपी की जनता के साथ-साथ अपने कार्यो के प्रति ईमानदार तथा निष्ठावान अधिकारी भी हो रहे हैं. दुर्गाशक्ति नागपाल को जिस तरह खनन माफिया का शिकार होकर निलम्बित होना पड़ा. यह इसका एक और जीता जागता सुबूत है.’
मायावती ने कहा, ‘मैं राज्यपाल से खनन माफिया की शिकार हुई आईएएस अधिकारी को न्याय दिलाने के लिये दखल देना का अनुरोध करती हूं. केन्द्र को भी इस मामले में जल्द संज्ञान लेना चाहिये वरना यहां सपा सरकार के शासन में ईमानदार अफसरों का काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. यह शुभ संकेत नहीं है.’ इस बीच, पहले अपनी शिकायत पर नोएडा एसडीएम का निलंबन होने का दावा करने वाले सपा नेता नरेन्द्र भाटी ने निलंबन में अपनी भूमिका से इनकार किया और कहा कि यदि खनन माफिया से उनके संबंध साबित हो जाएं तो वह राजनीति छोड़ देंगे. भाटी उप्र एग्रो कोरपोरेशन के अध्यक्ष हैं और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है.
नोएडा के बीजेपी विधायक महेश शर्मा ने आरोप लगाया कि जब हाल ही में एक मंदिर गिराया गया था तो राज्य सरकार ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब एक धार्मिक ईकाई द्वारा मस्जिद के समीप जमीन कब्जाने के लिए सरकारी जमीन पर बनायी गयी दीवार गिरायी गयी तो उप्र के मुख्यमंत्री ने ईमानदार एसडीएम को निलंबित कर दिया जो अपना कर्तव्य निभा रही थी.’ उन्होंने भी निलंबन आदेश वापस लिए जाने की मांग की. अधिकारी के निलंबन को एक जनहित याचिका के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी है जिस पर आज सुनवाई होने की संभावना है.