मुंबई में गड्ढों को लेकर जनता कितनी गुस्से में है शायद इसका अंदाजा नेताओं को लगना शुरू हो गया है.
सोमवार रात शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे खुद विलेपार्ले पहुंचे. वहां उन्होंने गड्ढ़े भरे जाने का मुआयना किया. उद्धव के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे और मेयर सुनील प्रभु भी मौजूद थे.
उद्धव ने सोमवार रात को मुंबई में कुछ और जगहों पर जाकर गड्ढ़ा भराई के काम का निरीक्षण किया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
मुंबईवासी का हर दिन सड़कों पर कई गड्ढों से सामना होता है, गड्ढों को लेकर बीएमसी में ना जाने कितनी बार शिकायतें की गईं पर कभी नतीजा नहीं निकला. लेकिन गड्ढों की समस्या पर अब खुद बॉम्बे हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के एक जज गौतम पटेल ने मुंबई में गड्ढों की समस्या के बारे में 24 जुलाई को चीफ जस्टिस को एक खत लिखा था. उसी खत को चीफ जस्टिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पीआईएल के रूप में दाखिल किया है. जिस पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार, बीएमसी, एमएमआरडीए, टीएमसी और एमएसआरडीसी जैसे एजेंसियों को नोटिस भेजा है. 13 अगस्त को सुनवाई के दिन कोर्ट में इन सभी एजेंसियों के आला अधिकारियों को मौजूद रहने का आदेश दिया है.
दरअसल गड्ढों ने आजकल मुंबई वासियों का जीना मुश्किल किया हुआ है. एक्सप्रेस हाईवे हो या कोई और सड़क. हर जगह गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं. सरकार और प्रशासन हर साल गड्ढों के लिए करोड़ों रुपये खर्च करता है. लेकिन ये पैसा जाता कहां है पता नहीं चलता क्योंकि सड़क पर गड्ढे तो वैसे ही बने रहते हैं.
बीएमसी की गड्ढों को भरने की डेडलाइन रविवार को थी. लेकिन शहर में अब भी 1500 से ज्यादा गड्ढे मुंह खोल खड़े हैं. दो-दो फीट से लेकर चार-चार फीट के जानलेवा गड्ढों के बीच से मुंबईकरों को रोज रास्ता बनाकर सफर करना होता है. 2 बाइक सवार गड्ढों के चलते बैलेंस बिगड़ जाने की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं. गड्ढों से लंबे लंबे जाम लगते हैं. सफर में दो गुना समय लगता है.
बीएमसी के बजट में हर साल गड्ढों की मरमम्त पर खर्च करोड़ों में दिखाया जाता है, फिर भी कोई राहत नहीं मिलती. अब लोगों की बची हुई उम्मीद बॉम्बे हाईकोर्ट से है.