आधार डेटा के लीक होने को लेकर तरह-तरह की खबरें अब तक मीडिया का हिस्सा रही हैं लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में आधार डेटा लीक होने के आरोप को डेटा स्टोर करने वाली यूनिक आईडेंटिफिकेशन ऑथरिटी ऑफ इंडिया यानी यूआईडीएआई ने भ्रामक बताया है. उसने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि सभी डेटा इनक्रिप्शन तकनीकी से स्टोर किए जाते हैं जिसे किसी भी तरीके से प्रभावित करना मुश्किल है.
यूआईडीएआई ने कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में कहा है कि डेटा इकट्ठे किए जाने वाली जगह की चौबीसों घंटे कड़ी सुरक्षा की जाती है और निर्धारित समय के भीतर समय-समय पर उसकी समीक्षा भी होती है. यूआईडीएआई का हलफनामा ये दावा करता है कि आधार डेटा लीक होने की बात पूरी तरह झूठी है क्योंकि उसमें जमा डेटा को उसके सेंटर से किसी तरह की जानकारी लिए जाने के समय में भी बदलाव नहीं किया जा सकता है. डेटा की सुरक्षा को लेकर सभी जरूरी कदम शुरुआत से ही उठाए गए हैं.
यूआईडीएआई के मुताबिक डेटा सेंटर की सुरक्षा कई लेयर में होती है. उसके सेंटर की सीआरपीएफ के जवान दिन-रात सुरक्षा करते हैं. इसके अलावा डेटा को उस तकनीक से जमा किया गया है जिससे किसी की निजता भंग न हो. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने वही मुद्दा उठाया है जो सुप्रीम कोर्ट में पहले उठाया जा चुका है. याचिकाकर्ता की इस याचिका में डेटा लीक होने का आरोप आशंका के आधार पर है और उसका कोई प्रामाणिक सोर्स नहीं है.
कोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 21 अगस्त को केंद्र सरकार और यूआईडीआईए से जवाब मांगा था. आधार डेटा लीक होने वालों को मुआवजा देने की मांग करते हुए याचिकाकर्ता शामनाद बसीर ने याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि सरकार और यूआईडीएआई की लापरवाही के कारण लाखों लोगों के निजी डेटा लीक हुए हैं. ऐसे में दोनों की जिम्मेवारी बनती है कि लोगों की निजी जानकारी सुरक्षित रहे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.