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अखबार और रिपोर्टर पर FIR के बाद UIDAI की सफाई, हमारा मीडिया की आजादी पर भरोसा

UIDAI ने कहा है कि यह कहना सही नहीं है कि हमने 'शूटिंग द मैसेंजर' की नीति को अपनाया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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आधार के डाटा में सेंध लगाने की खबर छापने वाले अखबार और रिपोर्टर पर एफआईआर के मामले में UIDAI ने अपनी सफाई दी है. UIDAI ने आधार की जानकारी आसानी से लीक होने की खबर छापने पर 'द ट्रिब्यून' और उसकी रिपोर्टर रचना खेड़ा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने कहा है कि इस मामले में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि व्हिसलब्लोअर के खिलाफ कदम उठाया गया है. UIDAI ने कहा है कि यह कहना सही नहीं है कि हमने 'शूटिंग द मैसेंजर' की नीति को अपनाया है.

UIDAI का कहना है कि भले ही इस मामले में आधार से संबंधित जानकारियों में सेंध न लगाई गई हो, पर UIDAI हर आपराधिक मामले को काफी गंभीरता से लेता है. इस मामले में अनधिकारिक सेंध लगाने की कोशिश के तहत आपराधिक प्रक्रिया शुरू की गई है.

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UIDAI ने आगे कहा है कि वह मीडिया की आजादी में यकीन रखता है. इससे पहले, एडिटर्स गिल्ड ऑफ  इंडिया ने इस मामले में अखबार और रिपोर्टर पर एफआईआर किए जाने की आलोचना की थी.

इस मामले में UIDAI का कहना है कि एक अपराध के लिए एफआईआर दर्ज करवानी जरूरी है. इसके लिए आपको पूरे मामले की जानकारी देनी होती है और इसमें शामिल लोगों के नाम भी बताने होते है.

UIDAI का कहना है, 'एफआईआर में नाम आने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित शख्स अपराधी है. इस मामले में UIDAI ने 4 जनवरी को शिकायत दी थी. इसके अगले दिन एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले में कोई अपराधी है या नहीं यह तो पुलिस जांच और मुकदमे के बाद ही पता चलेगा.'

यह एफआईआर आईपीसी की धारा 419 (वेश बदलकर धोखा देने), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 468 (जालसाजी) और धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) और आईटी एक्ट की धारा 66 और आधार एक्ट की धारा 36/37 में दर्ज की गई है.

ट्रिब्यून की खबर के प्रकाशित होने के बाद UIDAI ने कहा था कि बायोमैट्रिक डाटा हासिल करने की खबर झूठी थी. UIDAI के चंडीगढ़ स्थित दफ्तर ने 'द ट्रिब्यून' से सवाल भी पूछे हैं.

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UIDAI ने पूछा कि क्या उसके रिपोर्टर ने किसी के फिंगर प्रिंट या आंखों की पुतलियों का रिकॉर्ड देखा था या हासिल किया था? अखबार के पत्रकार ने कितने आधार नंबरों की जानकारी ली थी और ये आधार नंबर किन-किन के थे?

'द ट्रिब्यून' ने दावा किया था कि उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में आधार का डाटा हासिल करने वाली सर्विस खरीदी और उनको करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया. अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी मिली थी.

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