मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन को लेकर बीजेपी के नेता और मंत्री एक के बाद एक कांग्रेस पर उंगली उठाने में लगे हैं. केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी इस आंदोलन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि इस आंदोलन के पीछे जो हिंसा आगजनी हो रही है, वह सब योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस द्वारा करवाई गई है और आने वाले 2 दिन में इस बात का खुलासा हो जाएगा कि कांग्रेस के लोग ही इसके पीछे थे. यह किसानों का आंदोलन नहीं बल्कि कुछ शरारती तत्वों का आंदोलन है.
आजतक से खास बातचीत में उमा भारती ने कहा कि किसानों की इस देश में हमेशा से एक समस्या रही है कि हमने कृषि आधारित माना ही नहीं इस देश को. जब भारत में पहली सरकार बनी तो गांधी जी की जो मूल भावना थी कि कृषि को, गोपालन को अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बनाया जाए, उसको नेहरू जी ने ही उलट दिया. उसके बाद से लगातार किसानों की समस्याओं को लेकर जो काम होने चाहिए थे, वह हुए नहीं. पहली बार मोदी जी ने फसल बीमा को लागू किया. मेरी कांग्रेस नेताओं से विनती है कि राजनीति करने के लिए बहुत से मुद्दे हैं. किसानों की जलती हुई लाश पर अपनी रोटियां मत सेंकिए.
खुद शिवराज गरीब किसान के घर से आए हैं
उन्होंने कहा, 'खेती के लिए मेरे मंत्रालय में भी प्रोजेक्ट तैयार हो रहे हैं. मुझे दुख इस बात का है कि देश में एक ही राज्य था मध्यप्रदेश, जो कृषि में नंबर वन रहा. मध्य प्रदेश में किसानों को लेकर सरकार अच्छा काम कर रही थी. जब भी ओले गिरे बरसात
हुई सूखा पड़ा शिवराज सिंह चौहान ने घर-घर जाकर किसानों के उनको यह कहा कि आप चिंता करने की जरुरत नहीं है. हम यह सब चीजें देखेंगे. उस राज्य में गोली चलाने की नौबत आए, उसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस जिम्मेवार है. जांच होगी तो
सीसीटीवी से पता चल जाएगा. सभी लोग कांग्रेस के कार्यकर्ता थे. उनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था. शिवराज सिंह खुद गरीब किसान के घर में पैदा हुए हैं. संवेदनशील हैं. किसानों के लिए सफलता के साथ काम करते हैं.
यूपी का मामला अलग है
कर्जमाफी की किसानों की मांग पर उमा भारती का कहना है कि एक राज्य से दूसरे राज्य से तुलना नहीं हो सकती. उत्तर प्रदेश में किसानों की हालत बहुत खराब कर दी गई थी. वहां की सरकारों ने जातिवाद फैलाकर हालत खराब कर दी थी. हर चीज में
उत्तर प्रदेश पिछड़ गया था. कोई न कोई चीज तो करनी थी. उत्तर प्रदेश राज्य ने आधार बनाकर अपने तरीके से प्रणाली विकसित की.
बवाल करने वाले किसान नहीं
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में तो कृषि को आगे बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी गई. वहां किसान नाराज नहीं है. जो लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जो DM को पीटते हैं, पथराव कर रहे हैं, गाड़ी में आग लगा रहे हैं, वे किसान हैं इस पर मुझे शंका है.
उमा भारती का मानना है कि किसान आंदोलन होना चाहिए. किसानों की बात होनी चाहिए. किसानों ने आंदोलन में जब भी कोई बात उठाई है. शरारती तत्व घुस गए. आंदोलन को सही मकसद से भटका दिया. महाराष्ट्र में उठे आंदोलन ने मध्य प्रदेश को
चपेट में ले लिया.
राहुल गांधी के मंदसौर में जाने के सवाल पर उमा भारती का कहना है कि जलती हुई आग में राहुल गांधी कूद गए हैं. इससे बीजेपी को कोई दिक्कत नहीं है. दिक्कत होती है कानून-व्यवस्था की. कानून-व्यवस्था की चीजों में सहयोग करना चाहिए. उसमें साथ देना चाहिए. कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है. उसमें आपके साथ ही कोई हादसा हो जाए. राहुल के साथ ही कोई बात हो जाए तो... वे यही चाहते हैं कि कुछ हो और हल्ला करें. किसानों के आंदोलन को किसी ने भी गलत नहीं कहा है. चाहे वह शिवराज सिंह चौहान हों या हमारी पार्टी हो. लेकिन इस किसान आंदोलन में कुछ लोग जो घुस गए हैं. आंदोलन ने हिंसक रुप ले लिया है. उसमें किसान है भी नहीं. मैं मीडिया से भी कहूंगी कि थोड़ा शांति बनाए रखिए. लोगों से भी कहूंगी कि थोड़ी बातों को सामने आने दीजिए. यह पूरी योजना के साथ हुआ है.
इन्टॉलरेंस और ईष्या की शिकार हो रही बीजेपी
उमा भारती ने कहा, 'मैं वह 3 साल से देख रही हूं. हमेशा हम लोग इन्टॉलरेंस के शिकार हो रहे हैं. हमारी सरकार, मोदी जी और जगह-जगह के मुख्यमंत्री भयानक ईर्ष्या-द्वेष के शिकार हो रहे हैं. सब हमारे प्रति यही भाव रखते हैं. इनको कैसे बर्बाद कर दो.
इन की सरकार को कैसे बदनाम किया जाए . इन की गलतियां कैसे पकड़ी जाए. मैं देख रही हूं पहली बार इतिहास में यह लोग विपक्ष के लोग हार रहे बुरी तरीके से सत्ता पक्ष के प्रति एंटी इनकंबेंसी होती है . विपक्ष के प्रति लगाव बढ़ता है . लेकिन पहली
बार विपक्ष के प्रति नफरत बढ़ती जा रही है.' उन चीजों के लिए हम लोगों को दोषी माना गया, जिनसे हमारा कोई लेना देना नहीं है. दादरी की घटना हुई थी. अखलाक की हत्या हुई थी. लोग इस्तीफा दे रहे थे. जबकि वहां समाजवादी पार्टी की सरकार थी.
हमारा कोई लेना देना नहीं था. हमको लोग गालियां दे रहे थे. हमारे खिलाफ इस्तीफे दे रहे थे. हम बहुत बड़ी इन्टॉलरेंस के शिकार हो रहे हैं.
गोली चलाने पर उमा भारती ने कहा कि वहां क्या हालात थे, उसके बारे में कह नहीं सकती हूं. वहां मौजूद नहीं थी. शिवसेना की कर्जमाफी की मांग पर उमा भारती का कहना है कि अगर अनंत गीते जी इसे कहते हैं तो उनको कहने का पूरा अधिकार है, क्योंकि वह हमारे सहयोगी हैं. गुलाम नहीं है. वह एक राजनीतिक दल हैं. वह हमारा समर्थन कर रहे हैं. हमारी बातों को विरोध नहीं कर रहे. हम मिलकर ही साथ चल रहे हैं.