केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा है कि जल बचाने की जिम्मेवारी सिर्फ सरकारी तंत्र की नहीं हो सकती. बल्कि इसके लिए आम लोगों की भागीदारी की भी जरूरत है. साथ ही गैर सरकारी संगठनों को भी इसमें आगे आना होगा. उमा भारती ने कहा जलक्रांति को जन क्रांति में बदलने की जरूरत है. तभी पानी को बचाया जा सकता है. उमा भारती ने जल मंथन के कार्यक्रम में कहा कि उनका मंत्रालय जल के प्रयोग और गंगा संरक्षण को लेकर नया कानून लाने पर भी विचार कर रहा है.
गंगा संरक्षण पर चल रहा है काम
गंगा संरक्षण पर हुए कार्यों की चर्चा करते हुए उमा भारती ने कहा कि इस पर तेजी से कार्य चल रहा है. पहले जो गंगा विश्व की दस सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल होती थी. वह आने वाले समय में निश्चित ही दुनिया की 10 स्वच्छतम नदियों में शामिल हो जाएगी.
जल को समवर्ती सूची का विषय बनाये जाने पर उन्होंने कहा कि राज्यसभा और लोकसभा में जल को समवर्ती सूची में लाने की मांग उठी है. इस विषय पर राज्यों के साथ बातचीत जारी है. संविधान की मर्यादाओं के अंतर्गत इसका निदान निकालने की कोशिश जारी है.
महानदी-गोदावरी नदी की राजनीति पर भी दिया बयान
महानदी-गोदावरी नदी जोड़ो परियोजना पर हो रही राजनीति का जिक्र करते हुए उमा भारती ने कहा कि मानस-संकोष-तीस्ता-गंगा-महानदी-गोदावरी देश की नदी जोडो परियोजनाओं का ‘मदर लिंक’ है. उन्होंने कहा कि इस पर जो विरोध है वह राजनीतिक है. तर्क और बुनियादी आधार के बजाय यह भावनाओं पर आधारित विरोध है. इस परियोजना से ओडिशा, बिहार एवं बंगाल की सुखाड़ तथा बाढ़ की समस्याओं का समाधान होगा.