क्या आप जानते हैं कि पिछले साल उत्तराखंड के केदारनाथ में भीषण आपदा क्यों आई थी? केंद्रीय जल संसाधन और गंगा सफाई मंत्री उमा भारती ने इसकी हास्यास्पद और विवादास्पद वजह बताई है. उनके मुताबिक तीर्थ स्थल के पास मलत्याग किए जाने की वजह से आपदा आई.
उन्होंने यह बात देहरादून स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लैशियोलॉजी एंड फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट के साथ बातचीत के दौरान कही. अंग्रेजी अखबार 'द हिंदुस्तान टाइम्स' ने यह खबर दी है. उमा ने कहा कि मंदाकिनी और सरस्वती नदियों ने तीर्थ के इर्द-गिर्द जो सीमा बनाई है, उसके भीतर मलत्याग करने पर 1882 से प्रतिबंध है. उन्होंने कहा, 'हालांकि वक्त गुजरने के साथ वहां नास्तिक लोग पहुंचे. उनमें से ज्यादातर का मकसद व्यापार करना था. इसी के चलते 2013 में केदारनाथ में आपदा आई.'
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि आपदा का तात्कालिक कारण बादल फटना और उत्तराखंड में भारी बारिश था, जिसमें 6 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. लेकिन इसका अंतर्निहित कारण मल उत्सर्जन ही था. ' उमा भारती ने यह भी कहा कि वह केदारनाथ तीर्थ के पास 1882 वाली स्थिति दोबारा लागू करना चाहती हैं. हालांकि अब सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी है.
कहने की जरूरत नहीं है कि उमा भारती के इस बयान का वैज्ञानिक तर्क से कोई लेना-देना नहीं है. याद रहे कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि अवैध रूप से बेचे जाने वाले गौ-मांस का इस्तेमाल आतंकवाद की फंडिंग के लिए किया जा रहा है. उमा भारती केदारनाथ धाम की मरम्मत पर चर्चा करने के लिए इन दिनों देहरादून में हैं.