देश में बाल विवाह के मामले पिछले दो दशक में भले ही थोड़ी जागरूकता आई हो और कई काम हुए हों, लेकिन इस की रफ्तार इतनी धीमी है कि इस कुप्रथा को खत्म होने में अभी 50 बरस और लग जाएंगे. भारत में यूनीसेफ की बाल सुरक्षा विशेषज्ञ डोरा गियूस्टी ने बताया कि दो दशक से बाल विवाह की संख्या में हर साल एक फीसदी की कमी आई है और इसे पूरी तरह खत्म होने में कम से कम 50 साल और लगेंगे.
डोरा ने देश में बाल विवाह और उस पर रोक के संदर्भ में मौजूदा हालात को चिंताजनक बताते हुए कहा, 'यह प्रक्रिया इतनी लंबी है कि तब तक लाखों लड़कियों का बाल विवाह हो चुका होगा. 20 से 24 साल की विवाहित महिलाओं के अध्ययन से पता चलता है कि उनमें से 43 फीसदी का विवाह तो 18 साल से कम उम्र में ही हो गया था और सर्वे के दौरान हर पांच में से दो महिलाओं ने बताया कि उनका बाल विवाह हुआ था.'
जुलाई में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह के प्रचलन के मामले में दुनिया में भारत का छठा स्थान है. यहां हर तीन बाल वधुओं में से एक देश में रहती है. यूनीसेफ की अधिकारी ने बताया कि देश में कुछ समुदायों और समूहों में अभी भी बालविवाह का प्रचलन है और इस पर रोक की गति धीमी होने का मुख्य कारण इस बारे में फैली भ्रांतियां हैं.