मोदी सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए शरणार्थियों के कल्याण के लिए बड़ा कदम उठाया है. कैबिनेट ने पीओके से आए शरणार्थियों के लिए विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है. इसके अलावा विदेशी नागरिकों के लिए वीजा नियमों को भी उदार बनाया गया है.
बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में और भी कई अहम फैसले लिए गए. सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर की कई और जातियों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी है.
विदेशी नागरिकों खासकर उद्यमियों और सैलानियों के लिए वीजा नियमों को भी उदार बनाया गया है.
पीओके से आए शरणार्थी
जम्मू-कश्मीर सरकार ने 36,348 ऐसे परिवारों का चयन किया है, जिन्हें यह पैकेज दिया जाना है. मोटे तौर पर हर परिवार को 5.5 लाख रुपये की राशि बतौर अनुदान मिलेगी.
पश्चिमी पाकिस्तान और ज्यादातर पीओके से आए शरणार्थी जम्मू, कठुआ और राजौरी जिलों के अलग-अलग हिस्सों में बस गए हैं. हालांकि वे जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुसार राज्य के स्थायी निवासियों की श्रेणी में नहीं आते. कुछ परिवार 1947 में भारत के बंटवारे के समय विस्थापित हो गए थे और अन्य परिवार 1965 तथा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्धों के दौरान विस्थापित हुए थे. ये लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते.