अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट ने रविवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी. प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेज दिया गया है.
सिब्बल ने क्या कहा
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी बीजेपी पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कि 'बीजेपी के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है. मामला कोर्ट में विचाराधीन है और वे कोर्ट में जीत नहीं पाएंगे. आपका कॉपरेटिव फेडरेलिज्म कहां गया? यह राजनीतिक असहिष्णुता है. उन्हें लगता है कि वे पैसे के दम पर सरकार बना सकते हैं.'
क्या है अरुणाचल का सियासी संकट
दरअसल, अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से उसके अपने कुछ विधायक बागी हो गए हैं. बीते 16-17 दिसंबर को ही उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें सरकार हार गई थी. लेकिन सूत्रों का कहना है कि फिलहाल राज्य सरकार विधानसभा भंग करने के मूड में नहीं है. जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें जारी हैं.
दिसंबर में बढ़ी सियासी लड़ाई
राज्य सरकार ने दिसंबर में विधानसभा बिल्डिंग सील करा दी थी. लेकिन बागी विधायकों ने एक होटल में ही सत्र बुला लिया था. इससे पहले स्पीकर ने कांग्रेस के बागी 14 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. लेकिन डिप्टी स्पीकर ने यह अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले उन सभी की सदस्यता बहाल कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मसला
14 जनवरी को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने विधानसभा के दिसंबर के उस दो दिन के सत्र को ही रद्द कर दिया था, जिस दौरान यह अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और स्पीकर के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. लेकिन कोर्ट ने इस सियासी लड़ाई की याचिकाएं संविधान पीठ को भेज दी हैं, जो न्यायाधीन हैं.
यह है विधानसभा की स्थिति
अरुणाचल विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं. 2014 में हुए चुनाव में 42 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. बीजेपी को 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिली थीं. बाद में पीपीए ने कांग्रेस में विलय कर लिया और उसके 47 विधायक हो गए. लेकिन अब लेकिन मुख्यमंत्री तुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही समर्थन है और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 31 विधायकों का साथ चाहिए. दो सीटों पर निर्दलीय हैं.
CM का आरोप- BJP के एजेंट हैं राज्यपाल
इससे पहले दिसंबर में गहराए सियासी संकट पर मुख्यमंत्री तुकी ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा बीजेपी एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्होंने ही सरकार गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों से बगावत कराई है.
केजरीवाल बोले- दिस इज शॉकिंग
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मौका भुनाते हुए तुरंत कह डाला- ये तो हैरान करने वाला कदम है. उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट के फैसले को संविधान की हत्या करार दिया. बोले- यह संविधान की हत्या है. बीजेपी चुनाव हार गई तो अब पिछले दरवाजे से सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही है.
This is shocking.... https://t.co/YuH1050dlg
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 24, 2016
Union Cab recommending Prez rule in Arunachal shocking. Murder of Consti on Rep D eve. BJP lost elections.Now acquiring power thro back door
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 24, 2016