लोकसभा चुनाव 2019 के दिन करीब देख सियासत नई दिशा लेती हुई दिख रही है. केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बयान देकर नई हलचल पैदा कर दी है. उनके बयान को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की कयासबाजी शुरू हो गई हैं.
शनिवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी द्वारा पटना में आयोजित बी पी मंडल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने इशारों-इशारों में कह दिया कि यदि यादवों का दूध और कुशवाहा का चावल मिल जाए तो एक बढ़िया खीर बन सकती है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, 'यदुवंशी (यादव) का दूध और कुशवंशी (कोइरी समुदाय) का चावल मिल जाए तो खीर बढ़िया होगी, और उस स्वादिष्ट व्यंजन को बनने से कोई रोक नहीं सकता है.' नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री के इस बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. उनके इस बयान को राजद प्रमुख लालू यादव से जोड़कर देखा जा रहा है.
यहां पर उपेंद्र कुशवाहा का साफ इशारा आरजेडी को लेकर था जिसे मुख्यतः यदुवंशियों की पार्टी के तौर पर देखा जाता है और कुशवाहा समाज को लेकर था जिसके वह नेता है. यदुवंशी समाज परंपरागत तौर पर गौ पालक होते हैं और कुशवाहा समाज कृषि के क्षेत्र से संबंध रखते हैं. कुशवाहा ने इशारों में कह दिया कि अगर आरजेडी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एक हो जाती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में वह भाजपा, जदयू और लोजपा गठबंधन को चुनाव में हरा सकते हैं.
Yaduvanshi(Yadavs) ka doodh aur Kushvanshi(Koeri community) ka chawal mil jaye to kheer badhiya hogi. Aur us swadisht vyanjan ko ban ne se koi rok nahi sakta hai: Upendra Kushwaha,Union Minister and Rashtriya Lok Samta Party Chief in Patna (25.8.18) pic.twitter.com/QhuEScEpwi
— ANI (@ANI) August 26, 2018
गौरतलब है, उपेंद्र कुशवाहा पिछले कुछ वक्त से इस बात को लेकर नाराज हैं कि एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का आगमन हो गया है जिससे उनका कद इस गठबंधन में कम हो गया है. यह बात भी साफ है कि उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच में बनती नहीं है और उपेंद्र कुशवाहा 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा बनना चाहते हैं.
कुशवाहा के बयान पर भड़की जदयू
महागठबंधन में शामिल होने को लेकर उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर जदयू ने तंज कसते हुए कहा है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा दूध और चावल मिलाकर खीर बनाएंगे तो वह एक मीठा पदार्थ बनेगा जिससे शुगर की बीमारी हो सकती है. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ऐसे में जरूरी है कि मीठा ना खाकर नमकीन खाया जाए जिससे शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचता है. यानी इशारों ही इशारों में जदयू ने भी उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में बने रहने की सलाह दे दी.
तेजस्वी बोले-खीर श्रमशील लोगों की जरूरत
वहीं उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन में शामिल होने के संकेत को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट करते हुए उनके इस बयान का स्वागत किया. तेजस्वी ने कहा, ' निसंदेह स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है.' तेजस्वी ने आगे लिखा कि पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण न केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं. तेजस्वी ने कहा कि प्रेम भाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है और यह एक अच्छा व्यंजन है.
नि:संदेह उपेन्द्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की ज़रूरत है। पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है। https://t.co/cfBR3bBePm
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 26, 2018
साफ तौर पर तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा का समर्थन करते हुए स्पष्ट शब्दों में संकेत दे दिए कि उनका महागठबंधन में स्वागत है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा कब यह फैसला करते हैं कि उन्हें एनडीए से संबंध तोड़कर महागठबंधन में शामिल होना है?
सीट बंटवारे और बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खेमे में जा सकते हैं. इसकी संभावना इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि कुशवाहा लालू प्रसाद की सेहत का हाल जानने के लिए कई बार उनसे मिल चुके हैं. बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में बहस जारी है और न भाजपा और न ही नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा की भागीदारी बढ़ता देखना चाहेंगे. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान का महत्व बढ़ जाता है.
गौरतलब है कि बिहार में एनडीए में शामिल दलों में जद(यू) और भाजपा के अलावा केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा और उपेंद्र कुशवाह का दल आरएलएसपी जैसी छोटी पार्टियां भी शामिल हैं. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजाप, लोजपा और आरएलएसपी साथ मिलकर लड़ी थीं, जिनमें भाजापा को 22 सीटों पर लोजपा को छह सीटों और आरएलएसपी को तीन सीटें मिली थीं.