केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 'ई-रिक्शा' के मुद्दे पर सफाई दी है. उनके दफ्तर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि गडकरी और उनके किसी रिश्तेदार का ई-रिक्शा बनाने वाली किसी कंपनी से संबंध नहीं है. इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी थी कि गडकरी ने जिस 'कल्याणकारी' योजना का ऐलान किया था, उसका फायदा गडकरी के परिवार से जुड़ी एक कंपनी को होगा.
दो हफ्ते पहले, जब गडकरी ने 'ई-रिक्शा' पर लगे बैन को खत्म करने के लिए कानून में बदलाव, ई-रिक्शा पर
रजिस्ट्रेशन खत्म करने और इसे खरीदने के लिए तीन फीसदी ब्याज पर लोन देने का ऐलान किया था, तो इसका खूब
स्वागत किया गया. इसे 'दीन दयाल योजना' का नाम दिया गया था. लेकिन अब अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस'
का दावा है कि गडकरी के इस फैसले से दिल्ली के एक लाख र्इ-रिक्शा चालकों के साथ-साथ गडकरी के परिवार
से जुड़ी एक कंपनी को भी फायदा होगा. याद रहे कि गडकरी पेशेवर तौर पर बिजनेसमैन ही हैं.
गडकरी के बहनोई की कंपनी को होगा फायदा?
अखबार के मुताबिक, नागपुर की इस कंपनी का नाम है 'पूर्ति ग्रीन टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड' (पीजीटी) .
2011 में जब यह कंपनी रजिस्टर की गई थी, इसके फाउंडर गडकरी ही थे. 2011 तक वह कंपनी के चेयरमैन भी
रहे. फिलहाल इसके डायरेक्टर गडकरी के बहनोई राजेश तोतडे हैं. पीजीटी उन सात कंपनियों में शामिल है जिसे
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) का लाइसेंस मिला हुआ है. अभी कंपनी को मोटर
की शक्ति को लेकर मिलने वाली राहत का इंतजार है ताकि वह बैटरी-चालित रिक्शा बना सकें. राजेश के मुताबिक,
केंद्र मोटर वेहिकल एक्ट में बदलाव करने की तैयारी में है और हम भी अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारने के लिए
तैयार हैं.
गडकरी की फैसले से कंपनी की बांछें खिलीं
अखबार के मुताबिक, राजेश उसी राहत के बारे में जिक्र कर रहे हैं, जिसका जिक्र गडकरी ने 17 जून को राजधानी
में आयोजित ई-रिक्शा चालकों की रैली में जिक्र किया था. गडकरी ने कहा था, '650 वॉट मोटर क्षमता वाले
ई-रिक्शों को गैर मोटर क्षमता वाली गाड़ी माना जाएगा. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस उनका चालान नहीं
कर पाएगी.' गडकरी ने यह वादा भी किया था कि मोटर वेहिकल एक्ट 1988 में बदलाव किया जाएगा, क्योंकि अभी
इस एक्ट के तहत 250 वॉट मोटर क्षमता और अधिकतम 25 किमी प्रति घंटा रफ्तार वाले वाहनों को ही गैर मोटर
श्रेणी का समझा जाता है.
और जब इस बारे में गडकरी से पूछा गया...
अखबार ने इस बारे में ईमेल करके गडकरी से पूछा कि उनके मंत्री पद पर रहते हुए कंपनी को ई-रिक्शे बनाने की
मंजूरी मिलना क्या 'हितों के टकराव' का मामला नहीं है? जवाब में गडकरी ने कहा है कि इन ई-रिक्शों को कई
कंपनियां बना रही हैं और किसी एक कंपनी की एकाधिकार नहीं है और न ही किसी पर कोई रोक लगाई गई है.
गडकरी ने कहा, जहां तक ई-रिक्शा मालिकों को 3 प्रतिशत दर पर लोन लेने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने का
मामला है, मैं इस बारे में पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिख चुका हूं.
गडकरी देश भर में 2 करोड़ ई-रिक्शा की बात कर रहे हैं. बैटरी चालित रिक्शा की औसत कीमत 70 हजार से एक लाख रुपये के बीच होती है. ऐसे में पीजीटी जैसी कंपनियां ई-रिक्शा के नए बाजार में कूदने को बेताब हैं.
गडकरी ने किया था ऐलान
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया था कि ई रिक्शा पर बैन नहीं लगेगा.
उन्होंने रिक्शावालों को भरोसा दिलाया था कि उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए किसी दफ्तर जाने की जरूरत नहीं है.
गडकरी ने कहा की एमसीडी ही ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन करेगी, साथ ही वही पहचान पत्र देगी. ई रिक्शा का
रजिस्ट्रेशन केवल 100 रुपये में होगा. इसके अलावा ई-रिक्शा का नाम दीनदयाल ई रिक्शा किया जाएगा.
गौरतलब है कि इससे पहले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी ई रिक्शा वालों की पैरवी की थी. केजरीवाल ई रिक्शा पर बैठकर दिल्ली के उप राज्यपाल से मिलने गए थे. बैन को लेकर ई रिक्शाचालकों ने दिल्ली में प्रदर्शन कर केंद्र की नई सरकार से अपना दुखड़ा रोया था.
पिछले साल 12 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट से ई रिक्शा पर बैन लगाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था की ना तो इसका रजिस्ट्रेशन होता है, ना ही कोई नंबर प्लेट. ना ही इसका इंश्योरेंस कवर होता है, यहां तक की इसे फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं मिलता.