महाभारत के पात्र अभिमन्यु ने जिस तरह गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की कला सीख ली थी और पुराणों में गर्भ में ही संस्कार मिलने की बात कही गई है, उसी को आधार बनाकर भोपाल के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में 'संस्कारवान संतान' के लिए पाठ्यक्रम शुरू हो रहा है.
यूनिवर्सिटी का कहना है दंपति अपनी संतान में जैसे संस्कार चाहते हैं, उन्हें उसी तरह की शिक्षा दी जाएगी. प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला कोर्स है. नौ महीने का यह कोर्स निशुल्क है और 2 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा.
गर्भाधान संस्कार हमारी प्राचीन परम्परा से ही शामिल रहा है. यूनिवर्सिटी में इस संस्कार शिक्षा के लिए दो दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पाठ्यक्रम में प्रेग्नेंट महिलाओं को रहन-सहन, खान-पान और बोल-चाल की जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा योग, भजन, संगीत, अच्छी कहानियां और देशभक्ति के गीत भी सुनाए जाएंगे. पाठ्यक्रम शुरू होने पर हर महीने बच्चे के होने वाले विकास के आधार पर शिक्षा दी जाएगी.
कामयाब हो सकता है यह अनूठा प्रयोग
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति मोहन लाल छीपा ने कहा, 'अभी 2 अक्टूबर से सेंटर चालू होगा. इसी को ध्यान में रखकर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं.'
गर्भवती महिलाओं के लिए तपोवन केंद्र में अच्छा वातावरण बनाया जाएगा. इस कोर्स को लेकर महिलाओं में भी उत्सुकता है. एक महिला संगीत ने बताया, 'शादी को एक साल हुए हैं. आगे मैंने बच्चे प्लान के बारे में सोचा है. मैं यहां नौ महीने तक पूरा क्लास अटेंड करूंगी. फायदा बाद में समझ आएगा.'
सेंटर पर एक साथ 25 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी. यह पाठ्यक्रम गुजरात विश्वविद्यालय के सहयोग से चलाया जा रहा है.