राष्ट्र ने 62वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच हुई परेड में देश की सांस्कृतिक विविधता, सशस्त्र बलों के अत्याधुनिक हथियारों, स्कूली बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम का नजारा करने के साथ साथ सेना के बैंड की धुनों पर जवानों के कदमताल का अद्भुत मंजर देखा.
राजपथ से ऐतिहासिक लाल किले तक आठ किलोमीटर लंबे मार्ग पर हुई गणतंत्र दिवस की परेड में सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों ने बैंड की धुनों पर मार्च किया. परेड में देश के अत्याधुनिक हथियारों का भी प्रदर्शन किया गया. परेड में पहली बार डीआरडीओ का एक्टिव फेस्ड एरे राडार, युद्धपोतों में लगने वाला बहुउपयोगी राडार और नौसेना की पानी के अंदर काम करने वाली शस्त्र प्रणाली का प्रदर्शन किया.
स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस, ब्रह्मोस प्रक्षेपण प्रणाली, टी-90 भीष्म टैंक, मल्टी बैरल रॉकेट प्रणाली ‘पिनाका’, टैक्टिकल कंट्रोल राडार रिपोर्टर, परमाणु जैविक रसायन टोही यान और इंटीग्रेटेड नेटवर्क प्लेटफॉर्म जैसी अन्य शस्त्र प्रणालियों का भी परेड में प्रदर्शन किया गया.
गणतंत्र दिवस की इस परेड को देखने के लिये देश के कोने कोने से आये दर्शकों ने पूरे राजपथ पर अपने उत्साह के रंग बिखेर दिए और बड़े उत्साह से परेड का लुत्फ उठाया. समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसिलो बामबांग युद्धोयोनो थे.
{mospagebreak} गणतंत्र दिवस परेड का नेतृत्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग (दिल्ली) मेजर जनरल मानवेंद्र सिंह ने किया. देश की राष्ट्रपति और सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर प्रतिभा पाटिल को सलामी दी. इस अवसर पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री ए के एंटनी, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश के लगभग सभी बड़े राजनेता, सैन्य, प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी उपस्थित थे.
गणतंत्र दिवस के मद्देनजर राजधानी में सुरक्षा इंतजाम बहुत चुस्त दुरूस्त था और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे जवानों ने प्रत्येक आने जाने वाले व्यक्ति पर अपनी पैनी नजर रखी.
मानवरहित विमान (यूएवी), निशानेबाज और इंच-इंच पर हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. अर्धसैनिक बलों और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के 15,000 जवानों सहित करीब 35,000 पुलिसकर्मियों ने गणतंत्र दिवस समारोहों की सुरक्षा-व्यवस्था संभाली.
परेड शुरू होने से कुछ मिनट पहले प्रधानमंत्री, एंटनी, और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इंडिया गेट जाकर ‘अमर जवान ज्योति’ पर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद सैनिकों को श्रद्धाजंलि अर्पित की.
{mospagebreak} परेड की शुरूआत राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि युद्धोयोनो के राजपथ पर पहुंचने के थोड़ी देर बाद शुरू हो गई. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा तिरंगा फहराने और परंपरागत 21 तोपों की सलामी के बाद देश के शूरवीरों को पदक वितरित किये गये.
परेड के दौरान चार एम आई 17 हेलीकाप्टरों ने आकाश से दर्शकों पर फूलों की वर्षा की और इसी के साथ गणतंत्र दिवस समरोह का जश्न शुरू हो गया. परेड के दौरान सबसे पहले परमवीर चक्र और उसके बाद अशोक चक्र विजेता शूरवीरों ने राष्ट्रपति को सलामी दी. झांकियों में रविंद्रनाथ टैगोर, भगवान बुद्ध, जम्मू कश्मीर के बंध पंधेर, त्रिपुरा के खारची उत्सव, पंजाब के शादी के जश्न और बिहार के मानेर शरीफ को प्रमुखता से दर्शाया गया.
थलसेना के दल में पंजाब रेजीमेंट, राजपूताना राइफल्स, राजपूत रेजीमेंट, सिख लाइट इंफेंट्री, जम्मू कश्मीर लाइट इंफ्रेंट्री और गोरखा राइफल्स के कर्मी शामिल हुए.
थलसेना के बाद नौसेना के 148 कर्मियों का दल आया. आईएनएस विराट की झांकी भी परेड में शामिल की गई.
{mospagebreak} मार्च करने वाली अन्य टुकड़ियों में ऊंट पर सवार होकर आने वाले बीएसएफ के कर्मी और असम राइफल्स, तट रक्षक, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, आरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवान तथा एनसीसी और एनएसएस के कैडेटों ने भाग लिया.
सशस्त्र बलों की टुकड़ियों के मार्च के बाद सबसे पहली झांकी गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की निकाली गई. यह उनकी 150वीं जयंती पर विशेष तौर पर पेश की गई.
इस झांकी की पृष्ठभूमि में शांति निकेतन दिखायी दिया और महात्मा गांधी को गुरुदेव के साथ बैठे दर्शाया गया. इस झांकी में गुरुदेव की गीतांजलि तथा उनके चित्रों की झलक को भी शामिल किया गया.
परेड में 686 बच्चे राजस्थानी लोकनृत्य, असम के ‘दहल थुंगरी’ और पंजाब के भांगड़ा पेश किया. सीमा सुरक्षा बल के मोटरसाइकल सवार दल ‘जांबाज’ ने हैरतअंगेज कारनामें दिखाये.
परेड के अंत में आईएल-78, दो एएन-32, दो डॉरनियर, पांच जगुआर, पांच मिग-29 और तीन एसयू-30 एमकेआई विमानांे का फ्लाई पास्ट किया.