सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. के. गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच कर रही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी करार दिया है. समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली को पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली के एक होटल में एक महिला इंटर्न के साथ 'अप्रिय व्यवहार' करने का दोषी पाया.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस पर किसी तरह की कार्यवाही करने से इनकार कर दिया और कहा कि गांगुली घटना के वक्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नहीं थे.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम को सौंप दी थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर गुरुवार को प्रसारित किया गया.
समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 'समिति का मानना है कि इंटर्न द्वारा मौखिक और लीखित रूप में दिए गए बयान से पहली नजर यह स्पष्ट होता है कि न्यायमूर्ति ए. के. गांगुली ने दिल्ली के ली मेरीडियन होटल के एक कमरे में 24 दिसंबर, 2012 को रात के लगभग 8.00 बजे से 10.30 बजे के बीच उसके (इंटर्न) के साथ अप्रिय व्यवहार (मौखिक एवं गैर मौखिक तरीके से किया गया यौनजनित अप्रिय आचरण) किया.' रिपोर्ट पर 27 नवंबर की तारीख अंकित है.
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस निर्णय पर पहुंचने से पहले समिति ने शिकायतकर्ता के बयानों, तीन गवाहों द्वारा पेश किए गए शपथपत्रों और न्यायमूर्ति गांगुली के बयानों का बहुत सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया.