कैराना से कथित रूप से हिंदुओं के पलायन की खबर पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहली बार टिप्पणी करते हुए इसमें कार्रवाई की वकालत की है. उन्होंने रविवार को कहा कि अगर इस खबर में सच्चाई है तो उत्तर प्रदेश सरकार को निश्चित रूप से इस संबंध में उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
हिन्दू परिवारों के पलायन का उठा था मुद्दा
राजनाथ सिंह ने अहमदाबाद में कहा, 'अगर कोई भी शख्स या गिरोह कुछ लोगों को उनके पैतृक स्थान से जबरन हटा रहा है तो राज्य सरकार को इस संबंध में निश्चित ही उचित कार्रवाई करनी चाहिए.' बीजेपी सांसद हुकुम ने यह आरोप लगाया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना कस्बे में कथित रूप से एक खास समुदाय से धमकी मिलने के कारण वहां रह रहे हिंदू परिवारों को वह जगह छोड़नी पड़ी.
लोगों के पुनर्वास का हो इंतजाम
राजनाथ ने बताया कि उनके पास सूचना है कि कुछ लोगों ने कैराना छोड़ दिया है लेकिन इस घटना को साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'कैराना घटना को साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसी स्थिति भी पैदा नहीं होनी चाहिए कि लोगों को अपनी पैतृक जगह छोड़कर जाना पड़े.' गृहमंत्री ने कहा कि अपना पैतृक निवास स्थान छोड़कर गए लोगों के उचित पुनर्वास का इंतजाम किया जाना चाहिए.
कई और जगहों पर पलायन की खबर
यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह की घटना उत्तर प्रदेश में कुछ अन्य जगहों पर भी हुई है, जैसा कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने दावा किया है, सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बारे में सुना है लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
कैराना में हुए थे दंगे
बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने हाल में उन 346 परिवारों की सूची जारी की थी जिन्हें 85 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस शहर को कथित तौर पर छोड़ना पड़ा था. कैराना शामली जिले के अंतर्गत आता है, जहां 2013 में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे. कैराना से कथित पलायन के मुद्दे पर राज्य सरकार ने हाल में शामली जिला प्रशासन को इस संबंध में जांच का आदेश दिया और उसने पाया कि जारी की गई 346 परिवारों की सूची में से 188 परिवार पांच साल से अधिक समय पहले इस जगह को छोड़कर चले गए थे.
बीजेपी सांसद के दावे पर सवाल उठाती रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि बीजेपी सांसद की ओर से उपलब्ध सूची की पड़ताल करने पर ऐसा पाया गया कि 66 परिवार 10 साल पहले कैराना छोड़कर चले गए थे. उन्होंने बताया कि जांच में यह भी पता चला कि शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य या अन्य कारणों के चलते 60 परिवार कहीं और रह रहे हैं. प्रवक्ता ने बताया कि सूची में उल्लिखित कम से कम 28 परिवार अब भी कैराना में ही रह रहे हैं.