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यूपी: महराजगंज में निर्दलीय व मुस्लिम सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बनेंगे किंगमेकर

महराजगंज में सबसे अधिक 26 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. इसके अलावा कुल दस की संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं. ऐसे में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि इस चुनाव में निर्दलीय व मुस्लिम सदस्य किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं. 

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यूपी पंचायत चुनाव (सांकेतिक फ़ोटो)
यूपी पंचायत चुनाव (सांकेतिक फ़ोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सबसे अधिक 26 उम्मीदवार निर्दलीय जीते
  • बीजेपी से आगे निकली सपा
  • अध्यक्ष पद की रोचक होगी लड़ाई

यूपी में जिला पंचायत चुनाव का नतीजा घोषित हो चुका है. पंचायत चुनाव में सबसे अधिक झटका सत्ताधारी दल बीजेपी को लगा है. महराजगंज जिले की सभी 47 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन इसमें से केवल सात उम्मीदवार ही जीत सके. पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया, उसके आठ प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं. लेकिन दोनों दल के जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी दहाई के अंक के नीचे ही सिमट कर रह गए हैं. 

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निर्दलीय व मुस्लिम सदस्य बनेंगे किंगमेकर? 
सबसे अधिक 26 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. इसके अलावा कुल दस की संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं. ऐसे में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि इस चुनाव में निर्दलीय व मुस्लिम सदस्य किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं. 

हालांकि, सात सीट पर ही चुनाव जीतने के बाद बीजेपी में निराशा जरूर है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी के मन में जीत को लेकर कोई संदेह नहीं है. महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी का कहना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार भले ही कम संख्या में जीत दर्ज किए हैं, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव कोई बीजेपी का सिपाही ही जीतेगा, क्योंकि पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर कई बीजेपी कार्यकर्ता व समान विचारधारा वाले लोग निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में उनको अपने पक्ष में मनाया जाएगा.

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जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का कब्जा
आपको बता दें कि जिला गठन के बाद से ही महराजगंज में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का कब्जा रहा है. गोरखपुर जनपद से अलग होकर महराजगंज जिला 2 अक्टूबर 1989 को अस्तित्व में आया. 1995 में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ. सबसे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के रुप में सांसद पंकज चौधरी के बड़े भाई प्रदीप चौधरी चुनाव में उतरे और उन्हें जीत मिली.

प्रदीप सांसद पंकज चौधरी के बड़े भाई थे. उसके बाद उनकी माता उज्जवला चौधरी लगातार दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. वर्ष 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण बदला तो सांसद पंकज चौधरी ने अपने विश्वास पात्र धर्मा देवी को चुनावी मैदान में उतारा. सांसद के कुशल चुनावी रणनीति के बदौलत बीजेपी समर्थित धर्मा देवी आसानी से चुनाव जीत गईं. वर्ष 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ, तब जिला पंचायत सदस्य के रूप में सांसद पंकज चौधरी ने अपने भतीजे राहुल चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी.

जिला पंचायत सदस्य में संख्या बल बीजेपी के पास था. राहुल चौधरी के चुनाव हारने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भरोसेमंद सदस्य की तलाश शुरू हुई. पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर जिला पंचायत सदस्य चुन कर आए पार्टी कार्यकर्ताओं में से प्रभुदयाल चौहान पर सांसद पंकज चौधरी व पार्टी ने विश्वास किया, तब सपा की प्रदेश में सत्ता थी. लेकिन सांसद पंकज चौधरी की राजनीतिक रणनीति के चलते प्रभुदयाल चौहान जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए, लेकिन कार्यकाल पूरा करने के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभु दयाल चौहान ने बागी होकर पाला बदल लिया. वे बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो गए, हालांकि, इससे जिला पंचायत के कार्य पर कोई असर नहीं पड़ा. जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभुदयाल चौहान के पॉवर को सीज कर दिया गया. 

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अध्यक्ष पद का चुनाव इस बार होगा दिलचस्प 
इस बार महराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव इस बार खासा दिलचस्प होता दिख रहा है. जिला पंचायत के गठन के बाद से ही चौधरी परिवार की कुर्सी बना यह पद किसके पास जाता है देखना रोचक होगा. क्योंकि बीजेपी की हिदायत के चलते जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनारक्षित होने के बाद भी सांसद पंकज चौधरी अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव मैदान में नहीं उतारा. अब पार्टी समर्थित 47 में से 40 उम्मीदवार चुनाव हार चुके हैं. 

सपा-बसपा भी बना रही रणनीति 

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर सियासी चौपाल पर बहस का दौर शुरू हो गया है. सदस्य जिला पंचायत के लिए जनादेश न तो बीजेपी को मिला है और ना ही सपा, बसपा व कांग्रेस को. सबसे अधिक 26 निर्दल प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. बीजेपी को सात व सपा को आठ सीट मिलों हैं. कांग्रेस व बसपा ने तीन-तीन सीट पर जीत दर्ज की है. 

लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए संख्या बल कम होने के बाद भी बीजेपी पूरी तरह आश्वस्त दिख रही है. सपा भी निर्दल व मुस्लिम जिला पंचायत सदस्य के दम पर जीत का समीकरण बनाने में जुट गई है. बसपा व कांग्रेस ने अभी पत्ता नहीं खोला है, लेकिन पार्टी पदाधिकारी भी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं. सदर क्षेत्र के वार्ड संख्या 32 से जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव निर्दल प्रत्याशी के रूप में जितने वाले अभय सिंह भी अध्यक्ष पद के चुनाव की दावेदारी करने की इरादा बना रहे हैं. 

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जिला पंचायत अध्यक्ष के भाग्य का फैसला करेंगे यह वोटर 

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम सामने आ गया है. निर्वाचन अधिकारी ने जिला पंचायत सदस्य के सभी 47 पद के नतीजों का घोषणा कर चुके हैं. इसमें निचलौल ब्लाक के वार्ड संख्या 1 से अनुपमा, 2 से पुनीता, 3 से राम समुझ, 4 से अमित कुमार पासवान, 5 से सबीरून, मिठौरा ब्लाक के वार्ड संख्या 6 से रविकांत, 7 से अमरनाथ, 8 से दुर्गा, 9 से राजाराम, 10 से हरीराम, नौतनवा ब्लाक के वार्ड संख्या 11 से रहमतुल्लाह, 12 से बाबूराम, 13 से रामानुज, 14 से वसी मोहम्मद, 15 से राम आशीष, लक्ष्मीपुर ब्लाक के वार्ड संख्या 16 से जमीउल्लाह, 17 से अनवर, 18 से रामसेवक, 19 से सुरेश चंद्र, बृजमनगंज ब्लाक के वार्ड संख्या 20 से दीपक, 21 से रमावती, 22 से राबिया, 23 से प्रेमशंकर, धानी ब्लाक के वार्ड संख्या 24 से पार्वती, फरेंदा ब्लाक के वार्ड संख्या 25 से महेन्द्र, 26 से परमानंद, 27 से अमरनाथ, 28 से विंदा, सदर ब्लाक के वार्ड संख्या 29 से प्रदीप कुमार, 30 से केवली, 31 से जग्गू, 32 से अभय, पनियरा ब्लाक के वार्ड संख्या 33 से सरवर जहां, 34 से महेन्द्र नाथ, 35 से अंजलि जायसवाल, 36 से आशा, परतावल ब्लाक के वार्ड संख्या 37 से आयशा खातुन, 38 से आशिक अली, 39 से राम सिंह साहनी, 40 से रम्भा देवी, घुघली ब्लाक के वार्ड संख्या 41 से सरवरी खातुन, 42 से त्रिभुवन वर्मा, 43 से दुर्गावती, 44 से प्रभुनाथ, सिसवा ब्लाक के वार्ड संख्या 45 से शंकराचार्य, 46 से आशा देवी व वार्ड संख्या 47 से यशोदा जिला पंचायत सदस्य पद के लिए निर्वाचित हुई हैं. यह सभी सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करेंगे. 

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