उत्तर प्रदेश और केंद्र में राम नाम की दुहाई देने वाली पार्टी बीजेपी की सरकार है. उत्तर प्रदेश में पार्टी के कई नेता भी अब पूरे सूबे में ‘राम राज’ जैसा वक्त लौट आने का दावा करते नहीं थकते. लेकिन इसी ‘राम राज’ में खुद ‘राम’ की आवाज भी नहीं सुनी जा रही. बीते तीन दिन से मेरठ में ‘राम’ ही नहीं ‘सीता’, ‘हनुमान’, ‘लक्ष्मण’, ‘भरत’, ‘शत्रुघ्न’ के कहने पर भी यहां के सांसद, विधायक, अधिकारी कान नहीं धर रहे थे. आखिरकार ‘राम’ को खुद ही हाथ में झाड़ू लेकर मैदान में सोमवार को उतरना पड़ा. ‘लक्ष्मण’ और ‘हनुमान’ समेत अन्य पात्रों ने भी फावड़ा लेकर मोर्चा संभाला.
चलिए आप को और नहीं उलझाते, आपको बता देते हैं कि पूरा मामला क्या है. दरअसल, मेरठ के जिमखाना ग्राउंड में वर्षों से हर साल रामलीला का आयोजन होता आया है. इस रामलीला को दूर दूर से लोग देखने आते हैं. इस साल भी रामलीला के भव्य स्तर पर आयोजन के लिए जिमखाना ग्राउंड में लंबे समय से तैयारी की जा रही थी. लेकिन बीते तीन दिन में हुई झमाझम बारिश ने पूरे ग्राउंड को तालाब में तब्दील कर दिया. किसी तरह पानी सूखा भी तो पूरे ग्राउंड में कीचड़ ही कीचड़ नजर आने लगा. इसी वजह से पिछले तीन दिन से यहां रामलीला का मंचन नहीं हो पा रहा.
रामलीला के आयोजकों और कलाकारों का कहना है कि वो ग्राउंड की सफाई के लिए अधिकारियों, सांसद, विधायक हर किसी से गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. जब ग्राउंड की सफाई के लिए हर तरफ से निराशा मिली तो रामलीला के आयोजकों और कलाकारों ने खुद ही मोर्चा संभाल कर मैदान को साफ करना शुरू किया. राम की भूमिका निभाने वाले कलाकार खुद हाथ में झाड़ू लेकर सफाई करते दिखे. वहीं हनुमान और लक्ष्मण के पात्र निभाने वाले कलाकार फावड़े तसले से कीचड़ उठा कर मैदान को साफ करते दिखे. इस मौके पर सभी कलाकार रामलीला की पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए.
बीते दिन में आयोजकों को रामलीला का स्थान भी मजबूरन जिमखाना ग्राउंड से हटाकर पास की धर्मशाला में करना पड़ा. लेकिन वहां जगह बहुत कम होने की वजह से कम ही लोग रामलीला देखने के लिए आ पाते हैं. रामलीला कमेटी के कलाकारों और आयोजकों का कहना है कि जिमखाना जैसा ग्राउंड दर्शकों से भरा होने पर रामलीला के लिए अलग ही उत्साह और श्रद्धा का अनुभव होता है.
लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देने के लिए नेता और अधिकारी आरोपों के कटघरे में आते रहते हैं. लेकिन जिमखाना ग्राउंड को कई बार की गुहार के बाद भी साफ नहीं कराने को आयोजक लोगों की आस्था से जुड़ा विषय बता रहे हैं. उनका सवाल है कि क्या दशहरा बीत जाने के बाद अधिकारियों और नेताओं को ग्राउंड साफ कराने की सुध आएगी.