दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद मनमोहन सिंह सोमवार को पहली बार औपचारिक प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं, जिसमें एक हजार से अधिक संवाददाताओं और फोटोग्राफरों के शिरकत करने की संभावना है.
विदेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने हालांकि मीडिया को कई बार संबोधित किया है लेकिन वह देश में ही औपचारिक संवाददाता सम्मेलन कम ही करते हैं. हालांकि समारोहों या कार्यक्रमों के दौरान संवाददाताओं द्वारा अलग से पूछे गये सवालों का जवाब देने से वह कतराते नहीं हैं. वैसे सिंह की प्रेस कांफ्रेंस में किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता और कभी कोई विवाद नहीं पैदा हुआ.
एक बार उनसे सवाल पूछ लिया गया था, ‘‘ सर ड्राइवर की सीट पर कौन है .. आप या मिसेज गांधी (सोनिया)’’. मनमोहन इस सवाल से झल्लाये नहीं और सवाल पूछने वाले पत्रकार को पूरी शालीनता से जवाब दिया. और तो और प्रेस कांफ्रेंस के बाद उन्होंने उस पत्रकार के साथ फोटो भी खिंचवाया. वैसे इस सवाल का सामना उन्हें कई बार करना पडा और हर बार उन्होंने बडी खूबी से उसे टाल दिया.{mospagebreak}
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मीडिया से बहुत सहज रिश्ते नहीं थे. वह किन्हीं सवालों पर तो हंसकर अच्छे से जवाब देती थीं लेकिन किसी सवाल पर बडी सख्ती से भी पेश आती थीं. इंदिरा के मीडिया सलाहकार पत्रकार एच वाई शारदा प्रसाद ने अपने संस्मरण में उल्लेख किया था कि उन्हें मैडम के इस मूड का पता था और वह स्थिति के हिसाब से मीडिया को संभालते थे.
इंदिरा और मोरारजी देसाई के साथ काम कर चुके प्रसाद को इंदिरा के बेटे राजीव गांधी के साथ भी काम करने का मौका मिला. उनके मुताबिक यहां दिक्कत कुछ और थी. राजीव प्रोटोकाल को तोडकर पत्रकारों के साथ बडी ही सहजता से घुल मिल जाते थे जबकि प्रसाद ऐसे समय के पत्रकार थे, जब प्रधानमंत्री मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे. सितंबर 2008 में प्रसाद का निधन हो गया था. राजीव गांधी ने पाकिस्तान के एक पत्रकार के सवाल पर प्रेस कांफ्रेंस में ही विदेश सचिव को बर्खास्त करने की घोषणा कर दी थी. तत्कालीन विदेश सचिव ए पी वेंकटेश्वरन पर आरोप था कि वह प्रधानमंत्री की पाकिस्तान नीति की अनदेखी कर मीडिया में प्रायोजित खबरें दे रहे हैं.{mospagebreak}
विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और इंदर कुमार गुजराल भी मीडिया को आसानी से उपलब्ध थे. गुजराल और चंद्रशेखर इतने लंबे समय प्रधानमंत्री नहीं रहे कि विज्ञान भवन की पारंपरिक प्रेस कांफ्रेंस करने का मौका उन्हें हासिल हुआ हो लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सीरी फोर्ट सभागार में प्रेस कांफ्रेंस की थी क्योंकि उस समय विज्ञान भवन में मरम्मत का काम चल रहा था. विश्वनाथ को मंडल आयोग की रपट से जुडे सवालों का सामना करना पडा और स्थिति संभालना काफी मुश्किल हो गया था.
आम तौर पर चुप्पी साधे रहने वाले नरसिंह राव पत्रकारों के प्रति काफी विनम्र थे और बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के बाद उन्होंने सात रेसकोर्स स्थित प्रधानमंत्री निवास पर ऐतिहासिक प्रेस कांफ्रेंस की. उस कांफ्रेंस में यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या मस्जिद ढहाये जाने की वह कोई जिम्मेदारी नहीं लेते, उन्होंने आधे घंटे तक कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के बाद आश्चर्यजनक रूप से कह दिया था, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि मेरी जिम्मेदारी है. ’’{mospagebreak}
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेस कांफ्रेंस काफी खुशगवार हुआ करती थी. प्रिंट मीडिया के लिए तो यह बहुत आरामदायक क्षण होते थे क्योंकि वाजपेयी काफी आराम आराम से बोलते थे और लिखने में कुछ दिक्कत नहीं आती थी लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए उतनी ही मुश्किल होती थी क्योंकि उन्हें काफी देर देर तक का फुटेज बनाना पडता था.
गुजरात दंगों के बाद राज्य के दौरे पर गये वाजपेयी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजधर्म का पालन करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था, ‘‘ मैं शर्मिन्दा हूं.’’